छठ महापर्व को दिलाएंगे वैश्विक पहचान - PM मोदी का बिहार को सबसे बड़ा वादा
News India Live, Digital Desk : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर की धरती से एक ऐसा ऐलान किया है, जिसने हर बिहारवासी का दिल जीत लिया है। पीएम मोदी ने वादा किया है कि उनकी सरकार बिहार की आस्था और संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक 'छठ महापर्व' को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व विरासत सूची में शामिल कराने के लिए पूरी ताकत से काम कर रही है।
अपनी चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "देश और दुनिया में छठ महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जब हम छठ के गीत सुनते हैं तो भावविभोर हो जाते हैं।" उन्होंने कहा कि छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि मानवता का महापर्व है और इसे वैश्विक पहचान दिलाना एनडीए सरकार की प्राथमिकता है। पीएम मोदी ने कहा कि यह हर बिहारी के लिए गर्व का विषय होगा जब पूरी दुनिया छठ की महिमा को जानेगी।
क्या है यूनेस्को की विरासत सूची और इससे क्या होगा फायदा?
यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र का एक हिस्सा है जो दुनिया भर की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों को मान्यता और संरक्षण देता है। इसकी 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' (Intangible Cultural Heritage) सूची में दुनिया भर के उन रीति-रिवाजों, परंपराओं और त्योहारों को शामिल किया जाता है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं।
छठ पर्व के यूनेस्को सूची में शामिल होने के कई बड़े फायदे होंगे:
- अंतरराष्ट्रीय पहचान: छठ पर्व को वैश्विक मंच पर एक अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में पहचान मिलेगी।
- पर्यटन को बढ़ावा: दुनियाभर के पर्यटक और शोधकर्ता इस पर्व के प्रति आकर्षित होंगे, जिससे बिहार में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
- संरक्षण और प्रोत्साहन: यूनेस्को में शामिल होने से इस महापर्व से जुड़ी परंपराओं, लोकगीतों और कलाओं के संरक्षण और उन्हें बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और फंड मिलने में भी आसानी होगी।
सरकार ने तेज की प्रक्रिया
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने छठ पर्व को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए संगीत नाटक अकादमी को नोडल एजेंसी बनाया है। भारत इस प्रस्ताव पर मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड जैसे देशों से भी सहयोग मांग रहा है, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। यह नामांकन 2026-27 के चक्र के लिए प्रस्तावित है।
प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी रैली में इस बात को प्रमुखता से उठाना यह दिखाता है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है और इसे बिहार के सम्मान और गौरव से जोड़कर देख रही है।
--Advertisement--