Chaos on social media in Nepal : कृषि मंत्री ने क्यों दे दिया इस्तीफा? कुर्सी से बढ़कर थी ज़मीर की आवाज़
News India Live, Digital Desk: पड़ोसी देश नेपाल में इन दिनों सियासी भूचाल आया हुआ है. वजह है सोशल मीडिया पर लगा एक बैन, जिसने युवाओं को इतना नाराज कर दिया कि वो सड़कों पर उतर आए. यह विरोध प्रदर्शन इतना बढ़ा कि हिंसक हो गया, कई लोगों की जानें चली गईं और इसी दबाव के बीच सरकार के एक मंत्री ने अपनी कुर्सी ही छोड़ दी.
मामला कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी के इस्तीफे का है, जिन्होंने सरकार के फैसले और प्रदर्शनकारियों पर हुई कार्रवाई से आहत होकर अपना पद त्याग दिया.
आखिर ऐसा क्या हुआ कि मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा?
नेपाल सरकार ने कुछ दिनों पहले फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पाबंदी लगा दी थी.सरकार का तर्क था कि ये कंपनियां देश में रजिस्टर नहीं हुई हैं और इनका इस्तेमाल गलत सूचनाएं फैलाने और ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए हो रहा है.
लेकिन देश के युवाओं, जिन्हें "जेन-जी" (Gen Z) कहा जा रहा है, ने इस फैसले को अपनी 'आवाज़ दबाने' की कोशिश माना. उनका कहना था कि सरकार भ्रष्टाचार जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए उनकी आजादी छीन रही है. बस फिर क्या था, काठमांडू से लेकर देश के कई बड़े शहरों में हज़ारों की तादाद में छात्र और युवा सड़कों पर उतर आए. उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था - "भ्रष्टाचार रोको, सोशल मीडिया नहीं".
देखते ही देखते यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 19 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए
इसी घटना ने कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी को झकझोर कर रख दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा कि जिस सरकार को देश के युवाओं के साथ मिलकर भविष्य बनाना चाहिए, वो उन पर ही हिंसा कर रही है. उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार में बने रहना उनके ज़मीर के खिलाफ है, जहां नागरिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार को इस तरह कुचला जा रहा हैअधिकारी से पहले, देश के गृह मंत्री रमेश लेखक ने भी इसी हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था.
सरकार को झुकना पड़ा
चारों तरफ से बढ़ते दबाव, मंत्रियों के इस्तीफे और सड़कों पर युवाओं के गुस्से को देखते हुए आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा भारी हिंसा और विरोध के बाद नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाया गया बैन वापस ले लिया है. सूचना एवं संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने एक इमरजेंसी बैठक के बाद यह ऐलान किया.
यह घटना सिर्फ एक मंत्री के इस्तीफे की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि जब किसी देश के युवा अपनी आवाज़ उठाते हैं, तो बड़ी से बड़ी सरकारों को भी अपने फैसले पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
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