चाणक्य नीति: ये 4 तरह के पुरुष अपने ही घर के लिए बन जाते हैं 'शत्रु', इनसे दूर रहने में ही है भलाई!

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आचार्य चाणक्य को सिर्फ एक महान राजनीतिज्ञ और रणनीतिकार कहना उनकी पूरी शख्सियत को बयां नहीं करता. असल में, वह मानव स्वभाव के एक ऐसे पारखी थे, जिनकी कही बातें सदियों बाद भी हमारे जीवन की उलझनों को सुलझाने का काम करती हैं. उन्होंने अपनी नीतियों में उन आदतों और व्यवहारों पर खुलकर बात की, जो किसी भी इंसान की सफलता या असफलता की नींव रखते हैं.

अपनी इन्हीं नीतियों में, आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसे पुरुषों के बारे में बताया है, जो अपनी ही आदतों के कारण अपने बसे-बसाए घर और परिवार की बर्बादी का कारण बन जाते हैं. चाणक्य ऐसे पुरुषों को एक 'असफल व्यक्ति' की श्रेणी में रखते हैं. उनका मानना है कि ऐसे व्यक्ति के साथ बिताया गया जीवन दुख और तकलीफों से भरा होता है. तो चलिए जानते हैं, कौन हैं वो 4 तरह के पुरुष.

1. पत्नी का अपमान करने वाला पुरुष
चाणक्य के अनुसार, जो पुरुष अपनी पत्नी का सम्मान नहीं करता, उसे बार-बार सबके सामने अपमानित करता है या उसे कभी मान-सम्मान नहीं देता, वह सबसे बड़ा असफल पति है. पत्नी को घर की लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. जिस घर में गृहलक्ष्मी का अपमान होता है, वहां कभी भी सुख, शांति और समृद्धि वास नहीं कर सकती. ऐसे पुरुष के साथ जीवन बिताना किसी जीते-जी नर्क के अनुभव से कम नहीं होता.

2. पराई स्त्री पर बुरी नजर रखने वाला पुरुष
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस पुरुष का चरित्र कमजोर होता है और जिसकी नजर अपनी पत्नी के अलावा दूसरी स्त्रियों पर रहती है, वह अपने हाथों से ही अपने हंसते-खेलते परिवार को उजाड़ देता है. ऐसे पुरुष का चरित्र और मान-सम्मान समाज में गिर जाता है और इस एक बुरी आदत के कारण उसका विनाश निश्चित होता है.

3. कर्ज में जीने वाला आदमी
कुछ आदमियों को घर चलाने के लिए अपनी मेहनत पर भरोसा करने के बजाय दूसरों से कर्ज लेने की आदत होती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरों के सहारे जीने की यह आदत इंसान को कभी आत्मनिर्भर नहीं बनने देती। ऐसा इंसान हमेशा दूसरों के आगे झुकता है और कर्ज में इतना डूब जाता है कि वह न सिर्फ खुद को बल्कि अपने पूरे परिवार को भी बर्बाद कर देता है।

4. जिम्मेदारियों को बोझ समझने वाला आदमी
इंसान का सबसे बड़ा फर्ज अपने परिवार की जिम्मेदारियों को खुशी-खुशी पूरा करना होता है। लेकिन, जो इंसान इन जिम्मेदारियों को बोझ समझता है या इनसे भागता है, उसका परिवार कभी खुश नहीं रह सकता। ऐसा इंसान न सिर्फ अपने परिवार को मुश्किल में डालता है बल्कि समाज में हमेशा बेइज्जती और बेइज्जती का सामना भी करना पड़ता है।

 

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