Chanakya Niti on marrying a beautiful wife: इन लोगों को खूबसूरत महिला से नहीं करनी चाहिए शादी

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News India Live, Digital Desk: Chanakya Niti on marrying a beautiful wife: आचार्य चाणक्य को उनके दूरदर्शी विचारों और मानव स्वभाव की गहरी समझ के लिए जाना जाता है। उनकी 'चाणक्य नीति' आज भी जीवन के हर क्षेत्र में उतनी ही प्रासंगिक है, चाहे वह व्यक्तिगत संबंध हों, शासन कला या फिर धन संबंधी नीतियाँ। वैवाहिक जीवन के बारे में भी चाणक्य ने कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, खासकर सुंदर पत्नी के चुनाव को लेकर। उनका मानना था कि केवल बाहरी सुंदरता ही सुखी वैवाहिक जीवन का आधार नहीं बन सकती। बल्कि कुछ खास लोगों को तो सुंदर स्त्री से विवाह करने से बचना ही चाहिए।

चाणक्य नीति के अनुसार, पुरुषों को पत्नी के रूप से ज़्यादा उसके स्वभाव, गुण और व्यवहार को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका तर्क है कि शारीरिक सुंदरता समय के साथ फीकी पड़ सकती है, लेकिन चरित्र और संस्कार हमेशा साथ रहते हैं। चाणक्य ने तीन ऐसे मुख्य बिंदु बताए हैं, जब एक पुरुष को अत्यधिक सुंदर पत्नी से विवाह करने से बचना चाहिए या केवल सुंदरता को ही विवाह का आधार नहीं बनाना चाहिए:

ज्ञान का अभाव : चाणक्य का मानना था कि एक सुंदर लेकिन अज्ञानी और संस्कारहीन पत्नी से घर का भला नहीं होता। यदि पत्नी के पास अच्छे संस्कार नहीं हैं, उसे परिवार और रिश्तों की अहमियत नहीं पता, और वह केवल अपने रूप पर ही घमंड करती है, तो ऐसी महिला गृहस्थी को नष्ट कर सकती है। शिक्षा और विवेक की कमी अक्सर अहंकारी और अविवेकी व्यवहार को जन्म देती है, जो रिश्तों में दरार डाल सकती है।

धन की कमी वाले व्यक्ति : चाणक्य ने उन पुरुषों को सुंदर पत्नी से विवाह न करने की सलाह दी, जिनके पास सीमित वित्तीय संसाधन हों। उनका तर्क था कि अक्सर ऐसी महिलाएं अपनी सुंदरता के प्रति बहुत जागरूक और दिखावा पसंद होती हैं। उनकी महंगी आदतें, रखरखाव की उच्च लागत और लगातार साज-श्रृंगार की इच्छा एक गरीब या औसत आय वाले व्यक्ति के लिए आर्थिक बोझ बन सकती है। ऐसे में गृहस्थी चलाने में परेशानियाँ आ सकती हैं और परिवार में कलह हो सकता है।

पुरुष की स्वयं की स्थिति : चाणक्य के अनुसार, यदि पुरुष स्वयं कमजोर, अविश्वसनीय या अस्थिर प्रकृति का है, तो उसे सुंदर स्त्री से विवाह करने से बचना चाहिए। एक अत्यधिक सुंदर पत्नी, अगर वह गुणहीन भी है, तो समाज या बाहरी आकर्षणों का शिकार हो सकती है। कमजोर चरित्र वाला पति ऐसी पत्नी को नियंत्रित करने या उसकी महत्वाकांक्षाओं को संभालने में अक्षम हो सकता है, जिससे विवाहेतर संबंध और अपमान की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सुंदर पत्नी को समाज की बुरी नज़रों से बचाने और उसे उचित सम्मान देने के लिए पुरुष का स्वयं मज़बूत होना आवश्यक है।

संक्षेप में, चाणक्य की नीति यह संदेश देती है कि वैवाहिक जीवन में बाहरी रूप-रंग की तुलना में चरित्र, गुण, विवेक और व्यवहारिक समझ कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। एक सुखी और सफल गृहस्थी के लिए पति-पत्नी दोनों में आपसी सम्मान, त्याग और सद्गुणों का होना नितांत आवश्यक है, जो केवल भौतिक सुंदरता से प्राप्त नहीं होता।

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