अजमेर दरगाह में कैमरे? सच या साज़िश? आख़िरकार हाई कोर्ट में खुल गया सबसे बड़ा राज़
News India Live, Digital Desk: विश्व प्रसिद्ध अजमेर शरीफ़ दरगाह में सीसीटीवी कैमरों को लेकर चल रहे विवाद और वायरल दावों पर अब केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। सरकार ने साफ़ कर दिया है कि दरगाह के अंदरूनी हिस्सों में कैमरे लगाने की ख़बरें पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है।
यह मामला उस समय तूल पकड़ गया था जब कुछ संगठनों ने यह दावा करते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी कि सरकार दरगाह के सबसे पवित्र स्थानों, ख़ास तौर पर आस्ताना शरीफ़ (मुख्य मज़ार) के आस-पास कैमरे लगाने की कोशिश कर रही है। याचिका में इसे धार्मिक मामलों में ग़ैर-ज़रूरी दखलअंदाज़ी और लोगों की निजता का हनन बताया गया था।
क्या था पूरा मामला और क्या थे आरोप?
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि अजमेर दरगाह कमेटी, जो केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन आती है, दरगाह की सबसे पवित्र जगहों पर कैमरे लगाना चाहती है।
- निजता के हनन का डर: उनका कहना था कि इससे न सिर्फ़ ज़ायरीनों (श्रद्धालुओं), ख़ासकर महिलाओं की निजता भंग होगी, बल्कि यह दरगाह की सदियों पुरानी परंपराओं और पवित्रता के भी ख़िलाफ़ है।
- धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप: याचिका में कहा गया था कि एक सेक्युलर सरकार को किसी भी धार्मिक स्थल के अंदरूनी मामलों में इस तरह से दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
हाई कोर्ट में सरकार ने क्या जवाब दिया?
इस मामले की सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाख़िल करते हुए सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया।
- "कोई कैमरा नहीं लग रहा": सरकार की तरफ़ से पेश हुए वकील ने अदालत को साफ़ बताया कि "आस्ताना शरीफ़ में एक भी कैमरा नहीं लगाया जा रहा है और न ही भविष्य में ऐसी कोई योजना है।"
- सुरक्षा के लिए सिर्फ़ बाहर हैं कैमरे: उन्होंने स्पष्ट किया कि दरगाह की सुरक्षा के लिए सिर्फ़ उसके बाहरी परिसर में कुछ जगहों पर पहले से ही कैमरे लगे हुए हैं, और उनका मक़सद सिर्फ़ भीड़ को नियंत्रित करना और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- याचिका बेबुनियाद: सरकार ने अदालत से कहा कि यह याचिका सिर्फ़ सुनी-सुनाई बातों और ग़लतफ़हमियों के आधार पर दायर की गई है और इसे ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा?
सरकार के इस स्पष्ट जवाब के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की बेंच ने इस मामले को निपटा दिया। कोर्ट ने सरकार के बयान को रिकॉर्ड पर लिया और कहा कि जब सरकार ख़ुद कह रही है कि ऐसा कोई कैमरा नहीं लग रहा है, तो इस मामले में आगे कोई सुनवाई की ज़रूरत नहीं है।
सरकार के इस बयान के बाद अब उम्मीद है कि अजमेर दरगाह में कैमरों को लेकर फैली अफ़वाहों और विवाद पर पूरी तरह से लगाम लग जाएगी।
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