Bulldozer Action : बरेली में धड़कनें तेज अवैध निर्माण वालों की नींद हराम 48 घंटे, 2 बारातघर और मलबे का ढेर
News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश में 'बाबा के बुलडोजर' की चर्चा तो होती ही रहती है, लेकिन इन दिनों Bareilly का पारा सातवें आसमान पर है। यहाँ बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) ने पिछले दो दिनों में जो सख्त तेवर दिखाए हैं, उससे शहर के भू-माफियाओं और अवैध कब्जाधारियों की नींद उड़ गई है।
सूफी टोला में लगातार दो दिन चले बुलडोजर अभियान के बाद अब सवाल ये उठ रहा है "अगला नंबर किसका?" क्योंकि अधिकारियों ने साफ इशारा कर दिया है कि ये कार्रवाई रुकने वाली नहीं है।
आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि दो दिन में क्या हुआ और अब आगे क्या होने वाला है।
तौकीर रजा के करीबियों को झटका!
कहानी की शुरुआत सूफी टोला इलाके से हुई। बीडीए की टीम ने यहाँ दो बड़े मैरिज हॉल्स को निशाने पर लिया। ये बारातघर आईएमसी (IMC) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा (Maulana Tauqeer Raza) के करीबियों के बताए जा रहे हैं।
- एवान-ए-फरहत (Awan-e-Farhat): यह सरफराज वली खां का बारातघर था।
- गुड मैरिज हॉल (Good Marriage Hall): यह राशिद खां की प्रॉपर्टी थी।
बीडीए ने कार्रवाई को दो हिस्सों में अंजाम दिया। पहले मंगलवार को बुलडोजर चला और करीब 40% हिस्सा गिराया गया। लेकिन जब काम पूरा नहीं हुआ, तो बुधवार को टीम फिर पूरी तैयारी के साथ पहुंची और बाकी बचा हुआ अवैध निर्माण भी मलबे में तब्दील कर दिया। बारातघर, जो कभी शादियों की रौनक से गुलजार थे, अब खंडहर बन चुके हैं।
“पिक्चर अभी बाकी है”BDA ने दिए संकेत
अगर किसी को लग रहा है कि मामला यहीं ठंडा हो जाएगा, तो BDA उपाध्यक्ष डॉ. ए. मनिकंडन (Dr. A. Manikandan) का बयान जरूर पढ़ लेना चाहिए। उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया है "अवैध निर्माण के खिलाफ बीडीए की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।"
जानकारों की मानें तो प्राधिकरण के पास एक 'लंबी लिस्ट' है। कई और कॉमर्शियल बिल्डिंग्स और अवैध कॉलोनियां बीडीए के रडार पर आ चुकी हैं। अधिकारी फाइलों को अंतिम रूप दे रहे हैं और कभी भी, किसी भी गली में बुलडोजर मुड़ सकता है।
शहर में दहशत और अफवाहों का बाज़ार
इस ताबड़तोड़ कार्रवाई से सूफी टोला ही नहीं, बल्कि पुराने शहर और आसपास के इलाकों में भी दहशत (Panic) का माहौल है। चौराहों पर बस यही चर्चा है कि अब कौन सा बारातघर या मार्केट गिरेगा? जिन लोगों ने नक्शा पास नहीं कराया है या सरकारी जमीन दबा रखी है, वो अब पुराने कागज़ खंगाल रहे हैं।
लोग डरे हुए हैं कि कहीं अगला बुलडोजर उनके दरवाजे पर न खड़ा हो जाए।
सख्त संदेश: नियम नहीं माना, तो खैर नहीं!
कुल मिलाकर, बरेली प्रशासन ने यह साफ कर दिया है कि राजनीतिक रसूख हो या बाहुबल, अवैध निर्माण को अब बख्शा नहीं जाएगा। बीडीए का यह एक्शन उन सभी लोगों के लिए एक अलार्म बेल है जो नियमों को ताक पर रखकर इमारतें खड़ी करते हैं।
अब देखना यह होगा कि बीडीए का 'हथौड़ा' अगली बार किस अवैध किले पर चलता है!
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