देश में बजट 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और हर तरफ से अपनी-अपनी उम्मीदें और सुझाव पेश किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मशहूर मार्केट एक्सपर्ट और निवेश सलाहकार प्रकाश गाबा ने एक दिलचस्प और क्रांतिकारी सुझाव दिया है। उनका कहना है कि अगर भारत को तेज और दीर्घकालिक आर्थिक विकास हासिल करना है, तो देश को एक “टैक्स हेवन” बनाया जाना चाहिए।
गाबा का मानना है कि टैक्स सिस्टम को पूरी तरह से बदलने की जरूरत है। उनका सुझाव है कि इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स जैसे प्रत्यक्ष करों को खत्म करके सिर्फ उपभोग (खर्च) पर टैक्स लगाया जाए। यह नीति न केवल भारत में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी, बल्कि विदेशी निवेशकों के लिए भी भारत को एक प्रमुख आकर्षण बना देगी।
टैक्स हेवन बनने का मतलब
टैक्स हेवन का मतलब है वह देश जहां टैक्स की दरें बेहद कम या न के बराबर होती हैं। ऐसे देश दुनिया भर के निवेशकों, व्यवसायों और धनवान व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित और लाभदायक ठिकाना बन जाते हैं।
गाबा का मानना है कि अगर भारत टैक्स हेवन बनने का फैसला करता है, तो देश की अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व उछाल आएगा। भारत में बड़ी संख्या में नए व्यवसाय स्थापित होंगे, विदेशी निवेश तेजी से बढ़ेगा, और देश में रोजगार के अवसरों में भी इजाफा होगा।
उन्होंने कहा, “टैक्स हेवन बनने से भारत न केवल अपने नागरिकों को राहत देगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी सफल होगा।”
इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को खत्म करने की बात
प्रकाश गाबा के सुझाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि देश में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को खत्म कर दिया जाए। उनका मानना है कि मौजूदा टैक्स ढांचा न केवल जटिल है, बल्कि यह व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए एक बड़ी बाधा भी है।
गाबा ने कहा, “हम एक ऐसी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं जहां सादगी और पारदर्शिता जरूरी है। इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को खत्म करना न केवल आम नागरिकों और उद्यमियों को राहत देगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में विश्वास को भी मजबूत करेगा।”
खर्च पर टैक्स लगाने का सुझाव
गाबा ने अपने बयान में यह भी कहा कि सरकार को केवल उपभोग यानी खर्च पर टैक्स लगाना चाहिए। उन्होंने समझाया कि खर्च पर टैक्स लगाना एक पारदर्शी और सरल प्रणाली है, जो देश के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से प्रभावित करेगी।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर आप एक लग्जरी कार खरीदते हैं, तो आप ज्यादा टैक्स देंगे। लेकिन अगर आप अपनी जरूरतों के हिसाब से सामान्य खर्च करते हैं, तो आप कम टैक्स देंगे। इससे न केवल कर प्रणाली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि लोग अपने खर्चों के प्रति भी अधिक जागरूक होंगे।”
विदेशी निवेश को मिलेगा बढ़ावा
गाबा का कहना है कि टैक्स हेवन बनने से भारत में विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां और निवेशक उन देशों में काम करना पसंद करते हैं जहां टैक्स का बोझ कम हो। अगर भारत इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को खत्म करता है और टैक्स नीति को सरल बनाता है, तो देश में बड़े पैमाने पर निवेश आएगा।
यह नीति भारतीय व्यवसायों को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सक्षम होंगे।
रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी
गाबा ने यह भी कहा कि इस नीति से देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा, “जब व्यवसायों को कम टैक्स का लाभ मिलेगा, तो वे अधिक से अधिक रोजगार उत्पन्न करेंगे। इससे न केवल बेरोजगारी घटेगी, बल्कि लोगों की आय भी बढ़ेगी।”
साथ ही, खर्च पर टैक्स लगाने की प्रणाली से सरकार को राजस्व में कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वास्तव में, आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि से सरकार को अधिक टैक्स कलेक्शन हो सकता है।
क्या भारत के लिए संभव है टैक्स हेवन बनना?
हालांकि, भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में टैक्स हेवन बनने की राह आसान नहीं होगी। इसके लिए न केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी, बल्कि देश की वित्तीय संरचना में बड़े बदलाव की भी आवश्यकता होगी।
गाबा का सुझाव क्रांतिकारी है, लेकिन इसे लागू करना कई चुनौतियों के साथ आएगा। सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि सरकार अपने राजस्व को कैसे बनाए रखेगी।
हालांकि, गाबा का मानना है कि खर्च पर आधारित टैक्स प्रणाली से राजस्व में कमी नहीं आएगी, बल्कि यह देश के आर्थिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाएगी।
अन्य विशेषज्ञों की राय
प्रकाश गाबा के इस सुझाव पर विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ का मानना है कि यह विचार व्यावहारिक नहीं है, जबकि अन्य इसे एक साहसिक कदम मानते हैं।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए टैक्स हेवन बनने की राह चुनना अभी संभव नहीं है। देश को पहले अपनी बुनियादी आर्थिक समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान देना होगा।
वहीं, कुछ अन्य का मानना है कि इस नीति को धीरे-धीरे लागू किया जा सकता है, जिससे देश के टैक्स ढांचे को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।