जैसे-जैसे बजट 2025-26 का दिन करीब आ रहा है, टैक्सपेयर्स और निवेशकों की उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं। इस बार चर्चा का केंद्र सेक्शन 80C के तहत छूट की सीमा को बढ़ाने की मांग है, जो पिछले 9 सालों से ₹1.5 लाख पर स्थिर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सीमा को बढ़ाकर ₹2.5 लाख या उससे अधिक करना सरकार के लिए एक बड़ा और स्वागत योग्य कदम हो सकता है। इससे न केवल टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, बल्कि यह देश में सेविंग और निवेश को भी बढ़ावा देगा।
सेक्शन 80C क्या है?
सेक्शन 80C भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 का एक प्रावधान है, जो व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को कर कटौती का लाभ प्रदान करता है।
- वर्तमान सीमा: ₹1.5 लाख तक की सालाना कटौती।
- लाभ: यह टैक्स योग्य आय को घटाकर करदाताओं की टैक्स देनदारी को कम करता है।
- लागू नहीं: यह कटौती कंपनियों, साझेदारी फर्मों, या अन्य कारोबारी संस्थानों पर लागू नहीं होती।
किन निवेशों पर मिलता है 80C का लाभ?
सेक्शन 80C के तहत टैक्सपेयर्स को कई निवेश और खर्चों पर कटौती का लाभ मिलता है:
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS):
- 3 साल की लॉक-इन अवधि वाली यह योजना टैक्स सेविंग और धन सृजन दोनों में मदद करती है।
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF):
- 15 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ यह निवेश टैक्स-फ्री ब्याज और मैच्योरिटी प्रदान करता है।
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC):
- यह सुरक्षित निवेश विकल्प तय ब्याज दरों के साथ टैक्स कटौती का मौका देता है।
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs):
- टैक्स कटौती के साथ यह योजना लंबे समय के लिए फाइनेंशियल सुरक्षा प्रदान करती है।
- जीवन बीमा प्रीमियम:
- जीवन बीमा पॉलिसियों पर चुकाए गए प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है।
- होम लोन का मूलधन (Principal Amount):
- होम लोन के मूलधन पर टैक्स कटौती का लाभ उपलब्ध है।
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS):
- यह रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय का भरोसेमंद विकल्प है।
- सुकन्या समृद्धि योजना:
- बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए टैक्स-फ्री बचत योजना।
क्यों बढ़नी चाहिए 80C की लिमिट?
सेक्शन 80C की वर्तमान सीमा 2014 में ₹1.5 लाख तय की गई थी।
- महंगाई का असर:
पिछले एक दशक में महंगाई के चलते सेविंग और निवेश के खर्च में बढ़ोतरी हुई है। - ज्यादा बचत की जरूरत:
बढ़ी हुई सीमा से टैक्सपेयर्स को अधिक बचत करने का अवसर मिलेगा और वे बेहतर वित्तीय योजना बना सकेंगे। - संभावित वृद्धि:
विशेषज्ञों का सुझाव है कि इसे बढ़ाकर ₹2.5 लाख या उससे अधिक किया जाए।
80C में कटौती के लिए पात्रता
कौन क्लेम कर सकता है?
- भारतीय निवासी और अनिवासी भारतीय (NRI)।
- व्यक्तिगत करदाता और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF)।
कैसे करें क्लेम?
- फाइनेंशियल वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के दौरान पात्र निवेश या खर्च करें।
- कटौती का लाभ इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय लिया जा सकता है।
- जरूरी दस्तावेज़:
- पेमेंट रसीद।
- इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट।
सेक्शन 80C के तहत टैक्स कटौती क्लेम करने का तरीका
- ITR फाइलिंग:
करदाता इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय 80C के तहत किए गए निवेश और खर्च की जानकारी दें। - दस्तावेज़:
- पेमेंट स्लिप।
- निवेश प्रमाण पत्र (Investment Certificate)।
- रिटर्न स्वीकृति के बाद:
कटौती के कारण आपकी टैक्स योग्य आय घट जाएगी, जिससे टैक्स देनदारी कम हो जाएगी।