सांस लेना हुआ मुश्किल? फेफड़ों की सेहत का रखें ख्याल: ये 8 टेस्ट बताएंगे आपके लंग्स कितने दमदार

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नई दिल्ली: सांस लेना एक ऐसी क्रिया है जिस पर हम अक्सर तब तक ध्यान नहीं देते जब तक यह कठिन न हो जाए। भारत में बढ़ते प्रदूषण, धूम्रपान और फेफड़ों के कैंसर के मामलों को देखते हुए, यह समय है कि हम अपने फेफड़ों (lungs) पर अधिक ध्यान दें। फेफड़ों के फंक्शन टेस्ट Lung function tests, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज COPD और पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों के निदान और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये टेस्ट हवा का प्रवाह, फेफड़ों की क्षमता, और गैस विनिमय जैसे मापदंडों को मापकर यह समझने में मदद करते हैं कि फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं।

CORE Diagnostics की लैब निदेशक और वाइस प्रेसिडेंट डॉ. शिवानी शर्मा और मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के निदेशक-पल्मोनोलॉजी डॉ. शरद जोशी से जानिए वे टेस्ट जिनके द्वारा आप अपने फेफड़ों के कामकाज की जांच करवा सकते हैं:

1. स्पाइरोमेट्री (Spirometry): फेफड़ों का बेसिक फिटनेस टेस्ट
यह सबसे आम और बुनियादी सांस परीक्षण है। यह मापता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और बाहर निकाल सकते हैं, और कितनी तेजी से आप सांस छोड़ सकते हैं। इस टेस्ट में आपको गहरी सांस लेकर मशीन में जोर से फूंक मारनी होती है। यह अस्थमा, COPD और अन्य सांस लेने संबंधी समस्याओं का निदान करने में सहायक है।

2. पीक फ्लो टेस्ट (Peak Flow Test): घर पर अस्थमा की निगरानी
यह एक तेज सांस जांच है, जो फेफड़ों से हवा बाहर निकालने की अधिकतम गति को मापती है। आपको एक छोटे हैंडहेल्ड डिवाइस में सांस फूंकनी होती है। यह दिखाता है कि आप कितनी तेजी से अपने फेफड़ों से हवा बाहर निकाल सकते हैं। अस्थमा के मरीज अक्सर अपनी फेफड़ों की कार्यक्षमता की घर पर निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। यह अस्थमा के अटैक की शुरुआत या लक्षणों के बिगड़ने का पता लगा सकता है।

3. लंग वॉल्यूम टेस्ट (Lung Volume Tests): फेफड़ों की कुल क्षमता
यह टेस्ट फेफड़ों की हवा को धारण करने की क्षमता को मापता है, जिसमें अवशिष्ट आयतन (Residual Volume) भी शामिल है (यानी, अधिकतम सांस छोड़ने के बाद भी फेफड़ों में बची हवा)। यह टेस्ट एक ग्लास केबिन में या विशेष गैसों में सांस लेकर किया जाता है। इसके परिणाम प्रतिबंधात्मक फेफड़ों की बीमारियों (restrictive lung diseases) का निदान करने में मदद करते हैं, जहाँ फेफड़ों का विस्तार सीमित होता है, जैसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस।

4. आर्टेरियल ब्लड गैस (ABG) टेस्ट: ऑक्सीजन-कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन
ABG टेस्ट में रक्त का नमूना लेकर ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर, और रक्त के pH की जांच की जाती है। यह फेफड़ों द्वारा गैस विनिमय की प्रभावशीलता और कार्बन डाइऑक्साइड व ऑक्सीजन के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता का आकलन करने में सहायक है। यह गंभीर फेफड़ों की बीमारी या समझौता किए गए श्वसन वाले गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए गहन देखभाल में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

5. डिफ्यूजन कैपेसिटी (DLCO) टेस्ट: ऑक्सीजन का ब्लड में ट्रांसफर
Diffusion Capacity of the Lung for Carbon Monoxide (DLCO) टेस्ट इस बात का माप है कि फेफड़े कितनी कुशलता से हवा से ऑक्सीजन को रक्त में स्थानांतरित कर सकते हैं। इस टेस्ट के लिए, एक हानिकारक गैस की थोड़ी मात्रा ली जाती है। मशीन यह जांचती है कि आपके फेफड़े कितनी अच्छी तरह से ऑक्सीजन को आपके रक्त में पहुंचाते हैं। यह फेफड़ों के ऊतकों या रक्त वाहिकाओं में छिपे नुकसान का पता लगाने में मदद करता है और पल्मोनरी फाइब्रोसिस या एम्फिसीमा जैसी बीमारियों में उपयोगी है।

6. सिक्स-मिनट वॉक टेस्ट (Six-Minute Walk Test): एक्टिविटी के दौरान फेफड़ों की ताकत
क्या आप चल सकते हैं और सांस ले सकते हैं? इस टेस्ट में आप छह मिनट तक चलते हैं जबकि आपके ऑक्सीजन स्तर और हृदय गति की जांच की जाती है। यह गतिविधि के दौरान आपके फेफड़ों की मजबूती को दर्शाता है। यह एक सरल लेकिन शक्तिशाली टेस्ट है।

7. इम्पल्स ऑसिलोमेट्री (Impulse Oscillometry): बच्चों और बुजुर्गों के लिए परफेक्ट
इस टेस्ट में आप एक मशीन में सामान्य रूप से सांस लेते हैं जो ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है। यह बच्चों या बुजुर्गों के लिए बहुत उपयोगी है जो जोर से सांस नहीं ले सकते। यह अस्थमा और वायुमार्ग की समस्याओं का शुरुआती पता लगाने में मदद करता है।

8. इमेजिंग टेस्ट – एक्स-रे और सीटी स्कैन (X-ray and CT Scan): फेफड़ों की तस्वीर
इन टेस्ट में आपके फेफड़ों की तस्वीरें ली जाती हैं। यह संक्रमण, ट्यूमर, फेफड़ों के कैंसर या स्कारिंग दिखा सकता है। एक पूर्ण तस्वीर प्राप्त करने के लिए इसे आमतौर पर सांस परीक्षणों के साथ प्रयोग किया जाता है।

अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखना समग्र कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और नियमित फेफड़ों के कार्य परीक्षण इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
 

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