मालेगांव ब्लास्ट केस से बरी होने के बाद BJP सांसद का बड़ा खुलासा, सत्य और सनातनों की जीत

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नई दिल्ली: 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने शनिवार को एक बेहद चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, RSS प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राम माधव और इंद्रेश कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम लेने के लिए मजबूर और धमकाया था। ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच के दौरान उन्होंने किसी भी नेता का नाम नहीं लिया, और उनके साथ यातना (torture) की गई थी।

सनातन और सत्य की हुई जीत, बोलीं प्रज्ञा ठाकुर

ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "वे (जांच अधिकारी) चाहते थे कि मैं कुछ नाम लूँ। इसके लिए उन्होंने मुझे टॉर्चर किया। मेरे फेफड़े जवाब दे गए, और मुझे एक अस्पताल में अवैध रूप से रखा गया। मैं इन सब बातों को अपनी कहानी में लिखूंगी। मैं गुजरात में रहती थी, इसलिए वे चाहते थे कि मैं पीएम मोदी का नाम लूँ। हालाँकि, मैंने किसी का नाम नहीं लिया।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि "उन्होंने कहा था, 'ये नाम ले लो और हम तुम्हें नहीं मारेंगे'।"

मालेगांव ब्लास्ट केस: सात आरोपी बरी, कोर्ट का बड़ा फैसला

गौरतलब है कि प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य आरोपियों को गुरुवार को मुंबई की एक विशेष NIA अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले से बरी कर दिया। इस भयानक आतंकी हमले में छह लोगों की जान गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। फैसला सुनाते हुए, अदालत ने कहा कि सात आरोपियों के खिलाफ "कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं" थे। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता", और "आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।

भगवा जीत गया, न्याय जीत गया

इस फैसले का स्वागत करते हुए, ठाकुर ने इसे "भगवा की जीत" करार दिया। उन्होंने मीडिया से कहा, "आज भगवा जीत गया, न्याय जीत गया। जिन्होंने भी भगवा का अपमान किया है, ईश्वर उन्हें सज़ा देगा।"

लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने भी अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि वे देश की सेवा उसी जोश और जुनून से करते रहेंगे। उन्होंने कहा, कोई भी जांच एजेंसी गलत नहीं होती; यह एजेंसी में काम करने वाले लोग होते हैं जो गलत होते हैं। यह राष्ट्र महान है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गलत लोग आगे न बढ़ें और हम जैसे लोगों को पीड़ित न करें।

प्रज्ञा ठाकुर के इस खुलासे से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, और यह मामला फिर से चर्चा का विषय बन गया है। यह दावा NIA की जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है और अतीत की जांच प्रक्रियाओं को लेकर कई गंभीर प्रश्न उठाता है।
 

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