Bihar Funding Scam : बिहार की राजनीति गरमाई, सम्राट चौधरी ने प्रशांत किशोर से मांगा 2 करोड़ का हिसाब

Post

News India Live, Digital Desk:  Bihar Funding Scam :  राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है, ख़ासकर जब बात चुनावी चंदे (Electoral Funding) या किसी राजनीतिक दल को मिलने वाले फंड की हो. ऐसी ही एक दिलचस्प और गंभीर बहस आजकल बिहार की राजनीति में देखने को मिल रही है, जहाँ एक तरफ़ हैं सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) और दूसरी तरफ़ हैं प्रशांत किशोर (Prashant Kishor).

अभी ख़बर आई है कि बिहार भाजपा के नेता सम्राट चौधरी ने चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर से एक बहुत ही तीखा सवाल पूछा है. चौधरी ने उनसे जानना चाहा है कि कैसे प्रशांत किशोर की 'जन सुराज पार्टी' (Jan Suraaj Party) को एक ऐसी कंपनी से ₹2 करोड़ का दान मिल गया, जिसकी कुल वैल्यू (worth) सिर्फ़ एक लाख रुपये थी. यह सुनकर वाकई कुछ लोगों को हैरानी हुई होगी, क्योंकि इतनी कम वैल्यू वाली कंपनी इतना बड़ा चंदा कैसे दे सकती है?

यह आरोप इतना गंभीर क्यों है?

  • चुनावी चंदा पारदर्शिता (Electoral Funding Transparency): राजनीति में चुनावी चंदे की पारदर्शिता हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रही है. पार्टियाँ कहां से पैसा प्राप्त करती हैं, इसका पता चलना बहुत ज़रूरी है ताकि भ्रष्टाचार न हो.
  • फंडिंग का स्रोत: जब एक छोटी वैल्यू वाली कंपनी इतना बड़ा चंदा देती है, तो फंडिंग के स्रोत (source of funding) पर सवाल उठना लाज़मी है. क्या इसके पीछे कोई छिपी हुई बात है, या यह नियमों का उल्लंघन है, इस पर सवाल खड़े हो सकते हैं.
  • जनता का विश्वास: इस तरह के आरोपों से जनता के मन में संदेह पैदा होता है और राजनीतिक दलों पर उनका विश्वास कम होता है.

सम्राट चौधरी ने यह सवाल करके जन सुराज पार्टी की फंडिंग पर सीधे तौर पर सवाल उठाया है. अब प्रशांत किशोर पर यह जिम्मेदारी है कि वे इस पर स्पष्टीकरण दें और इस ₹2 करोड़ के दान का पूरा हिसाब-किताब सार्वजनिक करें. ऐसे आरोप भारतीय राजनीति में हमेशा गंभीरता से लिए जाते हैं, और देखना होगा कि इस पर आगे क्या जवाब आता है और इसका 'जन सुराज' की छवि पर क्या असर पड़ता है.

--Advertisement--