Bihar Assembly : जब इन दो उम्मीदवारों ने 50,000 से ज़्यादा वोटों से जीती थी सीट, जानिए 2020 बिहार चुनाव की वो दो बड़ी जीत
News India Live, Digital Desk : बिहार का विधानसभा चुनाव हमेशा से ही बहुत दिलचस्प और कांटे की टक्कर वाला रहा है। यहाँ कई सीटों पर हार-जीत का फ़ैसला महज़ कुछ सौ या हज़ार वोटों से हो जाता है। ऐसे में अगर कोई उम्मीदवार अपने विरोधी को 50,000 से भी ज़्यादा वोटों के भारी अंतर से हरा दे, तो यह एक बहुत बड़ी ख़बर बन जाती है।
आज हम आपको साल 2020 के विधानसभा चुनाव की दो ऐसी ही बड़ी जीतों के बारे में याद दिला रहे हैं, जहाँ महागठबंधन के दो उम्मीदवारों ने अपने विरोधियों को धूल चटाते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इनमें से एक चेहरा लेफ्ट पार्टी का बड़ा नाम है, तो दूसरी एक बाहुबली नेता की पत्नी हैं, जो पहली बार चुनाव लड़ रही थीं।
1. महबूब आलम (CPI-ML) - बलरामपुर सीट
वामपंथी राजनीति का एक बड़ा चेहरा और अपने क्षेत्र में मज़बूत पकड़ रखने वाले महबूब आलम ने 2020 में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाया था। कटिहार जिले की बलरामपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे सीपीआई (माले) के महबूब आलम ने विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के वरुण कुमार झा को 53,597 वोटों के एक विशाल अंतर से हराया था।
महबूब आलम की यह जीत कई मायनों में ख़ास थी। उन्होंने न सिर्फ़ एनडीए के उम्मीदवार को हराया, बल्कि यह भी दिखाया कि सीमांचल के इलाक़े में आज भी उनकी और उनकी पार्टी की जड़ें कितनी गहरी हैं। यह उस चुनाव में किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत थी।
2. किरण देवी (RJD) - संदेश सीट
दूसरी सबसे बड़ी और चौंकाने वाली जीत का सेहरा RJD की किरण देवी के सिर बंधा था। किरण देवी, भोजपुर के संदेश से पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अरुण कुमार यादव की पत्नी हैं। 2020 के चुनाव के समय अरुण यादव एक मामले में जेल में थे और चुनाव नहीं लड़ सकते थे। ऐसे में RJD ने उनकी पत्नी किरण देवी को मैदान में उतारा।
पति की गैरमौजूदगी और पहली बार चुनाव लड़ने के दबाव के बावजूद, किरण देवी ने एकतरफ़ा जीत हासिल की। उन्होंने जेडीयू के उम्मीदवार विजेंद्र यादव को 50,607 वोटों के बड़े अंतर से मात दी। इस जीत ने यह साबित कर दिया कि संदेश विधानसभा क्षेत्र में अरुण यादव का प्रभाव कम नहीं हुआ है और जनता ने उनकी पत्नी पर पूरा भरोसा जताया है।
ये दोनों जीतें उस चुनाव में महागठबंधन के लिए एक बड़ी उपलब्धि थीं, जहाँ एक तरफ़ वामपंथ का परचम लहराया, तो दूसरी तरफ़ एक महिला ने मुश्किल परिस्थितियों में बड़ी जीत हासिल कर सबको हैरान कर दिया।
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