Bihar Assembly Elections : चिराग और मांझी के बदले तेवर, BJP से बोले- 'सीटों पर बात तो अभी शुरू हुई है
News India Live, Digital Desk: Bihar Assembly Elections : बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखें अभी दूर हैं, लेकिन सत्ताधारी एनडीए (NDA) गठबंधन के अंदर सियासी पारा चढ़ने लगा है। ऊपर से देखने में भले ही सब कुछ शांत और "ऑल इज़ वेल" लग रहा हो, लेकिन अंदरखाने सीटों के बंटवारे को लेकर असली 'पावर-गेम' शुरू हो गया है। इस खेल की शुरुआत की है एनडीए के दो महत्वपूर्ण सहयोगियों- चिराग पासवान और जीतन राम मांझी ने।
दोनों नेताओं ने लगभग एक ही सुर में यह साफ कर दिया है कि बीजेपी के साथ सीटों पर बातचीत का दौर "अभी तो सिर्फ शुरू हुआ है", और वे अपनी-अपनी पार्टियों के लिए एक सम्मानजनक हिस्सेदारी से कम पर समझौता करने के मूड में नहीं हैं।
चिराग का 'हार्ड बार्गेनिंग' वाला दांव
लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने हाल ही में कहा कि सीटों पर जो बातचीत चल रही है, वह अभी "शुरुआती चरण" में है। राजनीतिक जानकार इसे चिराग की 'हार्ड बार्गेनिंग' यानी तगड़े मोल-भाव की शुरुआत मान रहे हैं। लोकसभा चुनाव में 100% की स्ट्राइक रेट से अपनी सभी 5 सीटें जीतने के बाद चिराग का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है। वह इसी जीत को विधानसभा चुनाव में भुनाना चाहते हैं।
"बात अभी शुरू हुई है" कहकर उन्होंने बीजेपी को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह सीटों के मामले में पिछली बार की तरह कोई नरमी नहीं बरतेंगे और अपनी पार्टी के लिए ज़्यादा से ज़्यादा सीटें मांगेंगे।
मांझी ने भी मिलाया चिराग के सुर में सुर
चिराग पासवान के बाद, 'हम' पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी यही राग अलापा है। उन्होंने भी कहा है कि अब एनडीए में सीटों के बंटवारे पर औपचारिक बातचीत शुरू हो जानी चाहिए ताकि चुनाव की तैयारियों को लेकर कोई कन्फ्यूजन न रहे।
हालांकि, मांझी ने भी चिराग की तरह यह दोहराया कि वे सभी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एकजुट हैं और आखिरी फैसला दिल्ली में बैठे शीर्ष नेता ही करेंगे। लेकिन उनका यह बयान भी सही समय पर अपनी दावेदारी पेश करने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
क्या हैं इसके मायने?
- बढ़ा हुआ आत्मविश्वास: लोकसभा चुनाव में मिली सफलता ने छोटे सहयोगी दलों को यह एहसास दिलाया है कि बिहार में उनकी भी जमीन मजबूत है।
- बीजेपी पर दबाव: यह बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति है कि वह छोटे दलों को नज़रअंदाज़ न करे और उन्हें उनकी ताकत के हिसाब से सम्मानजनक सीटें दे।
- कार्यकर्ताओं को संदेश: अपने नेताओं के ये बयान पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम भी कर रहे हैं, कि उनका लीडर उनके हक के लिए लड़ रहा है।
हालांकि बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि सीटों का बंटवारा कोई मुद्दा नहीं है और सही समय पर सब कुछ तय हो जाएगा, लेकिन चिराग और मांझी के इन बयानों ने यह साफ कर दिया है कि बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा इस बार इतना आसान नहीं होने वाला है। असली सियासी मोल-भाव तो अब शुरू हुआ है।
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