यूपी में बड़ी आतंकी साजिश नाकाम, शाहीन की हरकतों ने एटीएस की भी नींद उड़ाई

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News India Live, Digital Desk: अक्सर हम सुनते हैं कि आतंकी संगठन अनपढ़ या गरीब युवाओं को गुमराह करके अपने जाल में फंसाते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश से जो खबर सामने आ रही है, उसने इस धारणा को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। यूपी एटीएस (ATS) ने जिस मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, वो बेहद खतरनाक और चौंकाने वाला है।

कौन है ये शाहीन और क्या था इसका मिशन?

इस पूरी साजिश का केंद्र अलीगढ़ बताया जा रहा है। यहाँ फिरदौस अहमद भट, जिसे लोग 'शाहीन' के नाम से जानते थे, चुपके से एक बहुत बड़ी खिचड़ी पका रहा था। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, शाहीन का मकसद यूपी के माहौल को ख़राब करना और यहाँ "कश्मीर जैसी स्थितियां" पैदा करना था। वो चाहता था कि जैसे कश्मीर में पत्थरबाजी या अलगाववाद की आग थी, वैसी ही आग यूपी में भी सुलगाई जाए।

टारगेट पर थे डॉक्टर्स और इंजीनियर (Doctors on Target)

हैरानी की बात यह है कि शाहीन की लिस्ट में कोई साधारण युवा नहीं थे। वो जानबूझकर पढ़े-लिखे वर्ग को टारगेट कर रहा था। एटीएस की जांच में खुलासा हुआ है कि वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों, खास तौर पर डॉक्टर्स, इंजीनियर और पीएचडी स्कॉलर्स पर डोरे डाल रहा था।
उसका मानना था कि अगर 'इंटेलेक्चुअल' यानी पढ़े-लिखे लोग आतंक के रास्ते पर चलेंगे, तो उनका प्रभाव ज्यादा पड़ेगा और उन्हें पकड़ना भी मुश्किल होगा।

कैसे होता था ब्रेनवॉश? (How Brainwashing Happened)

शाहीन का काम करने का तरीका बिलकुल किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसा था। वो छात्रों के साथ बंद कमरों में मीटिंग करता था। शुरुआत धार्मिक चर्चाओं से होती थी, लेकिन धीरे-धीरे वो बातों को मोड़कर कट्टरपंथ और सरकार के ख़िलाफ़ नफरत की तरफ ले जाता था। वो इन युवाओं को यह समझाता था कि उन्हें अपने धर्म के लिए हथियार उठाने चाहिए या बगावत करनी चाहिए।

सैल्यूज़ और कट्टरपंथ की नर्सरी

खबर है कि उसने कुछ 'सैल्यूज़' (गुप्त ग्रुप्स) बना लिए थे। ये ग्रुप पूरी तरह एक्टिव होने की तैयारी में थे। गनीमत रही कि हमारी सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर ये गतिविधियां आ गईं। एटीएस ने सही समय पर कार्यवाही करते हुए न सिर्फ शाहीन को दबोचा, बल्कि इस पूरे 'ब्रेनवॉश मॉड्यूल' की कमर तोड़ दी।

यह घटना हम सभी के लिए, और खास तौर पर अभिभावकों के लिए एक चेतावनी है। यह सोचना गलत है कि उच्च शिक्षा प्राप्त बच्चा सुरक्षित है; कट्टरपंथी अब बौद्धिक वर्ग में भी घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां अपना काम बखूबी कर रही हैं, लेकिन समाज के तौर पर हमें भी अपनी आँखें खुली रखनी होंगी।

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