नौकरी करने वालों के लिए बड़ी खबर! बदल गए सैलरी, ग्रेच्युटी और PF के नियम, जानें आपकी जेब पर क्या होगा असर

Post

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद सरकार ने नए लेबर कोड्स (New Labour Codes) लागू कर दिए हैं। 21 नवंबर से लागू हुए इन चार नए कोड्स से कर्मचारियों की सैलरी, सोशल सिक्योरिटी और ग्रेच्युटी से जुड़े कई नियमों में बड़े और अहम बदलाव हुए हैं। इन सुधारों का मकसद मौजूदा दौर की जरूरतों के हिसाब से श्रम कानूनों को बनाना है। सबसे अच्छी बात यह है कि अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले और गिग वर्कर्स (जैसे डिलीवरी पार्टनर्स, कैब ड्राइवर्स) को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है।

आइए जानते हैं, इन नए नियमों से आपकी नौकरी और जेब पर क्या-क्या असर पड़ेगा।

खुशखबरी! अब 1 साल की नौकरी पर भी मिलेगी ग्रेच्युटी

यह नए लेबर कोड का सबसे बड़ा और फायदेमंद बदलाव है।

  • पुराना नियम क्या था?: पहले किसी भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी का हकदार बनने के लिए एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक लगातार नौकरी करना जरूरी था।
  • नया नियम क्या है?: अब फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को सिर्फ 1 साल की नौकरी पूरी करने पर ही ग्रेच्युटी का फायदा मिलेगा।

कौन हैं फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी?
ये वे कर्मचारी हैं, जिन्हें कंपनियां एक निश्चित समय (जैसे 1 साल, 2 साल या 3 साल) के कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी पर रखती हैं। इस नियम से कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा।

बदल जाएगा आपकी सैलरी का स्ट्रक्चर, बेसिक सैलरी होगी 50%

नए नियमों का सबसे बड़ा असर आपके सैलरी स्ट्रक्चर यानी CTC ब्रेक-अप पर पड़ेगा।

  • क्या बदला है?: 'कोड ऑन वेजेज, 2019' के तहत, अब किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसकी कुल CTC का कम से कम 50% होना अनिवार्य है।
  • पहले क्या होता था?: कंपनियां अक्सर बेसिक सैलरी को कम रखती थीं और अलाउंस (जैसे HRA, LTA) का हिस्सा ज्यादा रखती थीं। इससे कर्मचारी के हाथ में आने वाली इन-हैंड सैलरी तो ज्यादा होती थी, लेकिन उसका रिटायरमेंट फंड (PF) कम बनता था।
  • अब क्या होगा?: बेसिक सैलरी बढ़ने से आपका PF कंट्रीब्यूशन (बेसिक का 12%) भी बढ़ जाएगा। इसका मतलब है कि आपकी टेक-होम सैलरी (हाथ में आने वाली सैलरी) थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन आपके पीएफ खाते में ज्यादा पैसा जमा होगा, जो आपके भविष्य को और सुरक्षित करेगा।

PF के नियमों में कोई बदलाव नहीं, बना रहेगा पुराना कानून

यह एक चौंकाने वाला लेकिन महत्वपूर्ण अपडेट है। पहले माना जा रहा था कि नए कोड्स के साथ प्रोविडेंट फंड (PF) से जुड़ा पुराना कानून (EPF Act, 1952) खत्म हो जाएगा। लेकिन सरकार ने साफ किया है कि PF के नियम पहले की तरह ही बने रहेंगे। इसका मतलब है कि पीएफ से जुड़े नियम और शर्तें वही रहेंगी जो अब तक थीं।

हालांकि, पीएफ के पुराने नियमों के चलते कंपनियों को नए 50% बेसिक सैलरी वाले नियम के साथ सैलरी स्ट्रक्चर बनाने में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। हो सकता है कि आपकी सैलरी में HRA और LTA जैसे अलाउंस का हिस्सा थोड़ा कम हो जाए, क्योंकि अब उन्हें बाकी 50% CTC में ही एडजस्ट करना होगा।

--Advertisement--

--Advertisement--