घाटशिला में नए चेहरों पर दांव, 13 में से 9 उम्मीदवार पहली बार लड़ेंगे चुनाव, 70% चेहरे एकदम नए
News India Live, Digital Desk : झारखंड की राजनीति में हॉट सीट बन चुकी घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव इस बार बेहद दिलचस्प और अप्रत्याशित होने जा रहा है। इस चुनाव की सबसे ख़ास बात यह है कि मैदान में उतरे 13 उम्मीदवारों में से 9 चेहरे ऐसे हैं, जो पहली बार चुनावी रण में अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। यानी, लगभग 70 प्रतिशत उम्मीदवार राजनीति के नए खिलाड़ी हैं, जो अनुभवी नेताओं को टक्कर देने के लिए मैदान में उतरे हैं।
अनुभव पर भारी 'नया जोश'
घाटशिला उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने और नाम वापसी के बाद अब कुल 13 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं। इनमें से सिर्फ 4 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें पहले भी चुनाव लड़ने का अनुभव है। बाकी के 9 उम्मीदवार पहली बार जनता की अदालत में अपनी किस्मत का फैसला कराने जा रहे हैं। यह आंकड़ा इस सीट पर हो रहे राजनीतिक बदलाव और नई पीढ़ी की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं की ओर भी इशारा करता है।
कौन हैं अनुभवी और कौन हैं नए खिलाड़ी?
- अनुभवी चेहरे: चुनाव लड़ चुके अनुभवी उम्मीदवारों में JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के रामदास सोरेन, BJP (भारतीय जनता पार्टी) की पूर्णिमा साय देवगम, AJSU (आजसू) पार्टी के डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू और झारखंड पीपुल्स पार्टी के मंगल माझी शामिल हैं। ये सभी नेता इस क्षेत्र की राजनीति के पुराने और मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं।
- नए चेहरे: वहीं, पहली बार चुनाव लड़ रहे 9 नए उम्मीदवारों में कई निर्दलीय और छोटी पार्टियों के प्रत्याशी शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं- दुर्गा मुर्मू (निर्दलीय), लाल मोहन मुंडा (भारतीय राष्ट्रीय एकता दल), संजीव सरदार (झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति), और हरि मुंडा (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)। ये सभी नए चेहरे अपने-अपने एजेंडे और स्थानीय मुद्दों के साथ चुनावी मैदान में हैं और स्थापित दलों के समीकरण को बिगाड़ने का दम रखते हैं।
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि घाटशिला में इतनी बड़ी संख्या में नए चेहरों का उतरना इस चुनाव को त्रिकोणीय या बहुकोणीय बना सकता है। ये नए उम्मीदवार भले ही चुनाव न जीत पाएं, लेकिन वे जिस भी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे, उसका सीधा असर हार-जीत के अंतर पर पड़ेगा। असली मुक़ाबला सत्ताधारी JMM और विपक्षी BJP के बीच ही माना जा रहा है, लेकिन AJSU के डॉ. प्रदीप बलमुचू और अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी खेल बिगाड़ने की पूरी क्षमता रखते हैं।
अब देखना यह होगा कि घाटशिला की जनता अनुभव को तरजीह देती है या फिर 'नए जोश' पर अपना भरोसा जताती है।
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