1 लीटर दूध के चक्कर में खाली हो गया बैंक अकाउंट, मुंबई की महिला ने गंवाए 18 लाख रुपये

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ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट के इस दौर में जहां एक तरफ हमारी जिंदगी बेहद आसान हो गई है, वहीं दूसरी तरफ एक छोटा सा खतरा भी हमेशा मंडराता रहता है - ऑनलाइन फ्रॉड या साइबर ठगी का। इसका सबसे ताजा और चौंकाने वाला मामला मुंबई से सामने आया है, जहां एक 61 वर्षीय महिला को सिर्फ 1 लीटर दूध ऑनलाइन ऑर्डर करना इतना महंगा पड़ा कि उनकी जीवन भर की जमापूंजी लुट गई। इस एक गलती की वजह से उनके खाते से 18 लाख रुपये साफ हो गए।

यह घटना हम सभी के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि कैसे साइबर अपराधी भोले-भाले लोगों, खासकर बुजुर्गों को अपना निशाना बना रहे हैं। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि आप इस तरह की धोखाधड़ी से खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।

क्या है पूरा मामला: दूध ऑर्डर करने से 18 लाख लुटने तक

मुंबई के बांद्रा इलाके में रहने वाली 61 वर्षीय महिला ने एक दूध डेयरी को ऑनलाइन सर्च किया। गूगल सर्च रिजल्ट में मिले एक नंबर पर उन्होंने कॉल करके 1 लीटर दूध का ऑर्डर दिया। फोन पर बात कर रहे शख्स ने खुद को डेयरी का कर्मचारी बताया और पेमेंट के लिए 15 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करने को कहा।

यहीं से ठगी का खेल शुरू हुआ। उस शख्स ने महिला को झांसे में लेकर उनके फोन में एक 'स्क्रीन-शेयरिंग' एप्लीकेशन डाउनलोड करवा दी। उसने कहा कि इस ऐप के जरिए पेमेंट करने में आसानी होगी। महिला उसकी बातों में आ गई और ऐप डाउनलोड कर लिया। जैसे ही उन्होंने 15 रुपये का ट्रांजैक्शन पूरा किया, साइबर ठग ने उनके फोन का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया।

महिला को पता भी नहीं चला और उनके फोन की स्क्रीन पर जो कुछ भी हो रहा था, वह सब कुछ ठग देख रहा था। उसने उनके बैंक अकाउंट का लॉगिन आईडी, पासवर्ड और अन्य गोपनीय जानकारी देख ली और कुछ ही मिनटों के अंदर अलग-अलग ट्रांजैक्शन के जरिए उनके खाते से 18.06 लाख रुपये निकाल लिए। जब महिला के मोबाइल पर पैसे कटने के मैसेज आने शुरू हुए, तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि वह एक भयानक ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो चुकी हैं।

कैसे काम करता है यह 'स्क्रीन-शेयरिंग' फ्रॉड?

साइबर ठगी का यह तरीका आजकल बहुत आम हो गया है। ठग आमतौर पर इन स्टेप्स को फॉलो करते हैं:

  1. फेक कस्टमर केयर नंबर: ठग गूगल पर बड़े ब्रांड्स, दुकानों या सेवाओं के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर या गूगल लिस्टिंग में अपने फेक कस्टमर केयर नंबर डाल देते हैं। जब कोई यूजर मदद के लिए इन नंबरों पर कॉल करता है, तो वह सीधा ठगों के जाल में फंस जाता है।
  2. भरोसा जीतना: ठग खुद को कंपनी का असली कर्मचारी बताकर आपसे बहुत भरोसे से बात करते हैं और आपकी समस्या हल करने का नाटक करते हैं।
  3. ऐप डाउनलोड करवाना: इसके बाद वे आपसे AnyDesk, TeamViewer, या QuickSupport जैसे स्क्रीन-शेयरिंग/रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। वे बहाना बनाते हैं कि इससे आपकी समस्या जल्दी हल हो जाएगी।
  4. स्क्रीन पर पूरा कंट्रोल: जैसे ही आप ऐप इंस्टॉल करके उन्हें एक्सेस कोड बताते हैं, आपके फोन का पूरा कंट्रोल उनके हाथ में चला जाता है। अब आप अपने फोन पर जो भी करेंगे, उन्हें सब कुछ अपनी स्क्रीन पर दिखाई देगा।
  5. पैसे की चोरी: वे आपसे एक छोटा सा ट्रांजैक्शन (जैसे 10-15 रुपये) करने को कहते हैं ताकि वे आपका UPI पिन या नेट बैंकिंग पासवर्ड देख सकें। एक बार जानकारी मिलते ही, वे आपके अकाउंट से सारे पैसे निकाल लेते हैं।

ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचें: इन बातों का हमेशा रखें ध्यान

  • गूगल पर भरोसा न करें: किसी भी कंपनी का कस्टमर केयर नंबर ढूंढने के लिए गूगल पर मिले अनजान नंबरों पर कभी भरोसा न करें। हमेशा कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट (Official Website) या ऐप से ही संपर्क नंबर लें।
  • अंजान ऐप डाउनलोड न करें: किसी के भी कहने पर कोई भी ऐप, खासकर स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स, कभी डाउनलोड न करें।
  • OTP और PIN कभी शेयर न करें: याद रखें, कोई भी बैंक या प्रतिष्ठित कंपनी आपसे कभी भी आपका OTP, UPI पिन, CVV या पासवर्ड नहीं मांगती है। यह जानकारी किसी से भी साझा न करें।
  • भुगतान करते समय सतर्क रहें: ऑनलाइन भुगतान करते समय हमेशा URL को दोबारा जांचें कि वह सुरक्षित (https://) है या नहीं।
  • धोखाधड़ी होने पर क्या करें? अगर आपके साथ कोई ऑनलाइन फ्रॉड हो जाता है, तो बिना देरी किए तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। आप अपनी शिकायत www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन भी दर्ज करा सकते हैं। जितनी जल्दी आप रिपोर्ट करेंगे, पैसे वापस मिलने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी।

 

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