AKTU Convocation : इंतजार करना समय की बर्बादी नहीं-गगनयान के हीरो शुभांशु शुक्ला ने छात्रों को दिया सफलता का मंत्र

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News India Live, Digital Desk: आसमान कभी सीमा नहीं थी." ये शब्द हैं भारत के गौरव, गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के, जिन्होंने मंगलवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के 23वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही. लखनऊ में जन्मे शुभांशु इस समारोह के मुख्य अतिथि थे, जहाँ उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टर ऑफ साइंस (डीएससी) की उपाधि से भी सम्मानित किया गया

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में 20 दिन के ऐतिहासिक मिशन को पूरा करने के बाद लखनऊ लौटे शुभांशु ने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किए और उन्हें जीवन में सफलता के कई महत्वपूर्ण सूत्र दिए.

"सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता"

डिग्री और मेडल पाने वाले हजारों छात्रों को प्रेरित करते हुए शुभांशु ने कहा कि जीवन हमेशा हमारी बनाई समय-सीमा के अनुसार नहीं चलता. उन्होंने कहा, “कई बार आपको इंतजार करना पड़ता है. इंतजार करना समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि यह खुद को तैयार करने का अवसर है.” अपने सफर को याद करते हुए उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन के लिए चुने जाने और फिर अंतरिक्ष में जाने तक, उन्हें कई सालों का इंतजार और अनगिनत घंटों की কঠোর ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा.

उन्होंने छात्रों से कहा कि कभी-कभी योजनाएं विफल हो जाती हैं और रास्ते बदलने पड़ते हैं, ऐसे समय में परिस्थितियों के अनुसार ढलना ही बुद्धिमानी है. शुभांशु ने कहा, "निराशा और डर आपको कई बार घेरेंगे. मुझे भी घेरा. लेकिन एक चीज जो मुझे हमेशा आगे बढ़ाती रही, वह था खुद पर विश्वास. आप जीवन में कहीं भी हों, खुद पर विश्वास करना कभी न छोड़ें.

"फेलियर को एक नई शुरुआत समझें"

गगनयान के हीरो ने छात्रों को असफलता से न डरने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि फेलियर अंत नहीं, बल्कि एक डेटा पॉइंट है. यह हमें बताता है कि क्या काम नहीं कर रहा है ताकि हम एक बेहतर तरीका खोज सकें. उन्होंने टीम वर्क के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी अकेले महानता हासिल नहीं कर सकता, इसलिए हमेशा सहयोग की भावना रखें.

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल भी मौजूद रहे.समारोह में कुल 53,943 छात्रों को डिग्री और 88 मेधावी छात्रों को पदक प्रदान किए गए. शुभांशु शुक्ला का आगमन और उनके प्रेरक शब्दों ने वहां मौजूद हर छात्र में एक नए जोश और आत्मविश्वास का संचार कर दिया.

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