Akshaya Navami 2025 : पुण्य कमाने का वह ख़ास दिन, जब हर अच्छे काम का फल कभी खत्म नहीं होता
News India Live, Digital Desk : Akshaya Navami 2025 : त्योहारों की सुंदर माला में एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण दिन आता है, जिसे अक्षय नवमी या आँवला नवमी के नाम से जाना जाता है। "अक्षय" का सीधा सा मतलब है, जिसका कभी क्षय न हो, यानी जो कभी खत्म न हो। यही इस दिन की सबसे बड़ी खासियत है। मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी अच्छा काम, जैसे दान-पुण्य या पूजा-पाठ, उसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता, बल्कि कई जन्मों तक हमारे साथ बना रहता है।
यह पावन पर्व हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में अक्षय नवमी 31 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
क्या है अक्षय नवमी की चमत्कारी व्रत कथा?
आँवला नवमी क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे एक बहुत ही सुंदर कहानी है जो माँ लक्ष्मी और एक साहूकार से जुड़ी है।
कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मात्मा साहूकार था जो अपनी पत्नी के साथ रहता था। उन्हें कोई संतान नहीं थी, जिस वजह से पत्नी बहुत दुखी रहती थी। एक दिन, पत्नी की सहेली ने उसे संतान प्राप्ति के लिए भैरव बाबा के सामने एक बच्चे की बलि देने की सलाह दी।
जब पत्नी ने यह बात साहूकार को बताई, तो वह बहुत दुखी हुआ और बोला कि हम ऐसा घोर पाप नहीं कर सकते, ईश्वर हमें जो भी फल देगा हमें मंजूर है। पत्नी जिद पर अड़ी रही और एक दिन उसने चुपके से एक बच्ची को चुराकर भैरव को बलि चढ़ा दिया। इस पाप का परिणाम यह हुआ कि पत्नी का पूरा शरीर कोढ़ से गल गया और उसे असहनीय पीड़ा होने लगी।
जब उसने अपने पति को पूरी बात बताई, तो साहूकार सब समझ गया और उसे गंगा में स्नान करने को कहा। पति-पत्नी गंगा किनारे रहने लगे, लेकिन कई साल बीत जाने पर भी पत्नी का रोग ठीक नहीं हुआ। एक दिन एक देवी ने ब्राह्मणी का वेश धारण कर उन्हें दर्शन दिए और कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन आँवले के पेड़ की पूजा कर आँवले का सेवन करने की सलाह दी। साहूकार और उसकी पत्नी ने पूरे नौ साल तक हर नवमी पर यह व्रत और पूजा की, जिसके प्रभाव से पत्नी का शरीर पूरी तरह स्वस्थ और सुंदर हो गया और बाद में उन्हें संतान की प्राप्ति भी हुई।
एक अन्य कथा माँ लक्ष्मी से भी जुड़ी है, जिसमें उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने के लिए आँवले के वृक्ष को चुना था।
क्यों है इस दिन आँवले के पेड़ की पूजा इतनी ख़ास?
- सतयुग का आरंभ: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी शुभ दिन से सतयुग, यानी धर्म के युग का आरंभ हुआ था। इसलिए इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य हमेशा अक्षय रहता है।
- भगवान विष्णु और शिव का वास: माना जाता है कि कार्तिक महीने में आँवले के पेड़ में स्वयं भगवान विष्णु और भगवान शिव का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा से दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
- आरोग्य का वरदान: इस दिन आँवले के पेड़ की छांव में बैठकर भोजन करना और आँवले का सेवन करना अमृत समान माना जाता है। इससे व्यक्ति निरोगी रहता है और उसकी आयु बढ़ती है।
यह त्योहार हमें न सिर्फ पुण्य कमाने का मौका देता है, बल्कि प्रकृति से जुड़ने और उसके प्रति अपना आभार व्यक्त करने की भी प्रेरणा देता है।
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