,Akshaya Navami 2025 : इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने मात्र से दूर हो जाती है गरीबी, जानिए क्यों है इतनी खास?

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News India Live, Digital Desk : सनातन धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस महीने में आने वाला हर व्रत और त्योहार अपने आप में खास होता है। इसी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'अक्षय नवमी' (Akshaya Navami) के नाम से जाना जाता है। इसे 'आंवला नवमी' (Amla Navami) भी कहते हैं।

जैसा कि नाम से ही जाहिर है, इस दिन 'अक्षय' पुण्य की प्राप्ति होती है, यानी ऐसा पुण्य जो कभी खत्म (क्षय) नहीं होता। इस दिन किए गए दान, धर्म और पूजा का फल व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर तक मिलता है। और इस पुण्य को पाने का सबसे सरल और अचूक माध्यम है - आंवले का पेड़

कब है अक्षय नवमी 2025? (Akshaya Navami 2025 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में अक्षय नवमी का पावन पर्व 31 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

  • नवमी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार की सुबह 10:07 बजे से।
  • नवमी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार की सुबह 08:29 बजे तक।
  • उदयातिथि के अनुसार, अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:16 बजे से दोपहर 11:54 बजे तक।

क्यों है इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा इतनी महत्वपूर्ण?

अक्षय नवमी की महिमा सीधे तौर पर आंवले के पेड़ से जुड़ी है। इसके पीछे एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा है।

पौराणिक कथा (Mythological Story)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करने निकलीं। रास्ते में उन्हें भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा करने की इच्छा हुई। उन्होंने विचार किया कि ऐसा कौन सा वृक्ष है जिसमें हरि (विष्णु) और हर (शिव), दोनों का वास हो। तब उन्हें ध्यान आया कि आंवले के वृक्ष में ही यह गुण है, क्योंकि यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।

माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष को ही शिव और विष्णु का स्वरूप मानकर उसकी विधि-विधान से पूजा की और उसके नीचे बैठकर भोजन पकाया व ग्रहण किया। जिस दिन उन्होंने यह पूजा की थी, वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी।

तभी से यह परंपरा शुरू हो गई। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु, शिव और माता लक्ष्मी, तीनों का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने, उसकी छाया में बैठकर भोजन करने और आंवले का दान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके घर में कभी सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती।

क्या करें इस दिन?

  • सुबह स्नान आदि के बाद आंवले के पेड़ के पास जाएं।
  • पेड़ के आसपास सफाई करके उसकी जड़ में शुद्ध जल और दूध अर्पित करें।
  • पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली लपेटकर आठ बार परिक्रमा करें।
  • पूजा करने के बाद परिवार और मित्रों के साथ आंवले के पेड़ की छाया में बैठकर भोजन करें।
  • इस दिन आंवले का सेवन और आंवले का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।

मान्यता है कि इस एक दिन की पूजा से मिलने वाला पुण्य कई यज्ञों के बराबर होता है।

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