Aishwarya Rai Interview : मैंने दिल की सुनी, दिमाग की नहीं एक्ट्रेस ने अपने पुराने फैसलों पर कही ये बड़ी बात

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News India Live, Digital Desk : बॉलीवुड की 'विश्व सुंदरी' यानी ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं, बल्कि अपने समझदार फैसलों के लिए भी मशहूर हैं। हम सब जानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में हीरोइनों के बीच कितना कड़ा मुकाबला (Competition) रहता है। हर किसी को डर रहता है कि कहीं उनका 'पत्ता साफ' न हो जाए। इसे ही कहते हैं 'Insecurity' (असुरक्षा की भावना)

लेकिन, ऐश्वर्या राय शायद मिट्टी की ही अलग बनी हैं। हाल ही में अपनी एक पुरानी, मगर बेहद अहम फिल्म 'चोखेर बाली' (Chokher Bali) को याद करते हुए ऐश्वर्या ने जो कहा है, वो हर करियर वुमन और उनके फैंस के लिए एक सबक है।

"मुझे डर नहीं था..."
अक्सर जब एक्ट्रेस करियर की ऊंचाई पर होती हैं, तो वो सिर्फ ग्लैमरस रोल्स, बड़े हीरो और ब्लॉकबस्टर मसालेदार फिल्में ढूंढती हैं। लेकिन ऐश्वर्या ने अपने पीक समय में बंगाली फिल्म 'चोखेर बाली' (जो रबींद्रनाथ टैगोर की कहानी पर आधारित थी) में एक विधवा का संजीदा रोल किया।

इस पर बात करते हुए ऐश्वर्या ने कहा कि उन्हें कभी इस बात की इनसिक्योरिटी (डर) नहीं हुई कि "मैं क्या कर रही हूँ?" या "क्या इससे मेरा स्टारडम कम हो जाएगा?"। उनका कहना था कि वो हमेशा से एक कलाकार के तौर पर अपनी भूख शांत करना चाहती थीं, न कि सिर्फ रैट रेस (Rat Race) में दौड़ना चाहती थीं।

भीड़ से अलग चलने की हिम्मत
जरा सोचिए, उस दौर में जब सब 'गाना-बजाना' कर रहे थे, तब ऐश्वर्या ने बिनोदिनी (Binodini) जैसा मुश्किल किरदार चुना। ऐश्वर्या कहती हैं कि उनके लिए यह मायने नहीं रखता था कि लोग क्या कहेंगे, उन्हें बस इतना पता था कि उन्हें अपनी शर्तों पर काम करना है और कुछ सार्थक (Meaningful) करना है।

फैंस को मिला जवाब
आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो ऐश्वर्या का यह फैसला सही लगता है। 'चोखेर बाली' ने उन्हें एक गंभीर अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया। ऐश्वर्या की यह बात हमें सिखाती है कि अगर आपको खुद पर भरोसा है, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है कि दुनिया किस तरफ जा रही है। आप अपना रास्ता खुद बना सकते हैं।

ऐश्वर्या की यही क्लास और कॉन्फिडेंस उन्हें बाकी सब से अलग बनाता है, है न?

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