यूपी में हवा हुई जहरीली, मेरठ देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, नोएडा-गाजियाबाद में भी सांसों पर संकट

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News India Live, Digital Desk: सर्दियों की हल्की दस्तक के साथ ही उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की हवा में एक बार फिर ज़हर घुलने लगा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहाँ लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। वहीं, एनसीआर के प्रमुख शहर नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा भी 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुँच गई है, जिससे स्वास्थ्य को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

मेरठ की हवा सबसे खराब, देश में दूसरे स्थान पर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 381 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। इन आंकड़ों के साथ मेरठ न केवल उत्तर प्रदेश का सबसे प्रदूषित, बल्कि देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। शहर के जयभीम नगर, पल्लवपुरम और गंगानगर जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी के करीब पहुँच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रैफिक जाम, सड़कों पर उड़ती धूल और बदलते मौसम के कारण हवा की धीमी गति इस खतरनाक स्थिति के लिए ज़िम्मेदार है।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में भी दम घुट रहा

दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। नोएडा का औसत एक्यूआई भी 300 के पार चला गया है। शहर के सेक्टर-125, सेक्टर-116 और सेक्टर-62 जैसे इलाकों में हालात और भी बदतर हैं, जहाँ AQI 350 के भी पार दर्ज किया गया। टूटी हुई सड़कें, बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्य और वाहनों का भारी दबाव यहाँ की हवा को दिन-प्रतिदिन ज़हरीला बना रहा है। ग्रेटर नोएडा में भी नॉलेज पार्क जैसे इलाकों में AQI 'बहुत खराब' श्रेणी में बना हुआ है।

आसपास के जिलों का भी हाल बेहाल

प्रदूषण की यह मार सिर्फ़ मेरठ और नोएडा तक ही सीमित नहीं है। एनसीआर के अन्य जिले जैसे गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर और हापुड़ में भी हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' बनी हुई है। इन शहरों में लोगों को आँखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

क्यों खराब हो रही है हवा?

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस समय हवा की गति काफी कम है और तापमान में भी गिरावट आई है। इस वजह से वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व हवा में नीचे ही जमा हो जाते हैं और फैल नहीं पाते। इसके अलावा, निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और कुछ जगहों पर कचरा जलाना भी स्थिति को और बिगाड़ रहा है।

डॉक्टरों ने बच्चों, बुज़ुर्गों और सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने लोगों से सुबह की सैर से बचने और घर से बाहर निकलते समय अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क का उपयोग करने का आग्रह किया है।

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