AI in Education : डुओलिंगो का खेल खत्म? गूगल ट्रांसलेट बना AI टीचर , अब मजेदार तरीके से सिखाएगा नई भाषा

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News India Live, Digital Desk: AI in Education :  बरसों से जब भी कोई नई भाषा सीखने की बात आती थी, तो सबके दिमाग में एक ही नाम आता था - डुओलिंगो (Duolingo). अपने मजेदार गेम्स और अनोखे अंदाज से डुओलिंगो ने भाषा सिखाने के बाजार पर एकछत्र राज किया है. लेकिन अब लगता है कि इस हरे उल्लू (डुओलिंगो का मैस्कॉट) की बादशाहत खतरे में है, क्योंकि गूगल ने अपने ट्रांसलेट ऐप को एक ऐसे 'जादुई' हथियार से लैस कर दिया है, जो इसे सिर्फ एक ट्रांसलेटर नहीं, बल्कि एक पर्सनल AI लैंग्वेज टीचर बना रहा है.

गूगल ने अपने ट्रांसलेट ऐप में दो ऐसे जबरदस्त AI-पावर्ड फीचर्स शामिल किए हैं, जो सीधे तौर पर डुओलिंगो को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. गूगल का यह कदम भाषा सीखने के तरीके को हमेशा के लिए बदल सकता है.

फीचर 1: आपका पर्सनल 'AI प्रैक्टिस पार्टनर'

किसी भी नई भाषा को सीखने में सबसे बड़ी मुश्किल आती है बोलने और सुनने की प्रैक्टिस करने में. गूगल ने इसी समस्या का हल निकाला है. ऐप में अब 'प्रैक्टिस' नाम का एक नया फीचर आया है, जो आपके लिए एक पर्सनल AI ट्यूटर की तरह काम करता है.

  • यह काम कैसे करता है? आप ऐप को बताएंगे कि आप भाषा क्यों सीखना चाहते हैं (जैसे यात्रा के लिए, दोस्तों से बात करने के लिए) और आपका लेवल क्या है (शुरुआती या एडवांस). इसके बाद, ऐप आपके लिए खास तौर पर सुनने और बोलने वाले प्रैक्टिस सेशन तैयार करेगा यह आपको रेस्टोरेंट में खाना ऑर्डर करने या रास्ता पूछने जैसी असल जिंदगी की स्थितियों में बातचीत करने की प्रैक्टिस कराएगा.अगर आप गलती करते हैं, तो यह आपको सही जवाब भी बताएगा और आपकी डेली प्रोग्रेस को भी ट्रैक करेगा

फीचर 2: रियल-टाइम बातचीत, अब पहले से बेहतर

गूगल ट्रांसलेट में पहले भी बातचीत का फीचर था, लेकिन अब गूगल के सबसे पावरफुल AI 'जेमिनी' की मदद से इसे नेक्स्ट लेवल पर पहुंचा दिया गया है.

  • क्या है नया? अब आप 70 से ज्यादा भाषाओं में बिना रुके, रियल-टाइम में बात कर सकते हैं यह AI आपके बोलने के तरीके, उतार-चढ़ाव और लहजे को समझकर बिल्कुल नैचुरल तरीके से बातचीत को ट्रांसलेट करता है. सबसे खास बात यह है कि यह फीचर एयरपोर्ट या किसी शोर वाले कैफे जैसी जगहों पर भी शानदार काम करता है

गूगल के इस कदम से डुओलिंगो को टेंशन क्यों है?

डुओलिंगो की ताकत उसके गेम जैसे लेसन हैं, जो लोगों को ऐप से जोड़े रखते हैं. लेकिन कई लोग यह मानते हैं कि डुओलिंगो से आप धाराप्रवाह बोलना नहीं सीख सकते क्योंकि यह असल जिंदगी की बातचीत की प्रैक्टिस नहीं कराता.

गूगल ने डुओलिंगो की इसी कमजोरी पर वार किया है. जहां डुओलिंगो आपको "बिल्ली दूध पीती है" जैसे वाक्य रटाता है, वहीं गूगल ट्रांसलेट आपको असल जिंदगी में काम आने वाली बातचीत की प्रैक्टिस करा रहा है. यही वजह है कि गूगल के इस ऐलान के बाद डुओलिंगो के शेयर्स में भी गिरावट देखी गई.

यह साफ है कि गूगल अब सिर्फ शब्दों का अनुवाद करने तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि लोगों को एक नई भाषा में बातचीत करने के लिए पूरी तरह से तैयार करना चाहता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि टेक्नोलॉजी की इस जंग में कौन बाजी मारता है, लेकिन एक बात तो तय है - इसका सबसे ज्यादा फायदा हम जैसे यूजर्स को ही होने वाला है.

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