मैनचेस्टर यूनाइटेड के बाद अब टीम इंडिया? जानिये क्यों टायर बनाने वाली कंपनी के मालिक को क्रिकेट में दिख रहा है

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News India Live, Digital Desk: अगर आप बिजनेस और ब्रांडिंग की दुनिया पर नजर रखते हैं, तो आपको पता होगा कि बड़ी कंपनियां वहां पैसा लगाती हैं जहाँ जनता (पब्लिक) की नजरें होती हैं। सालों तक फुटबॉल के दिग्गज क्लब 'मैनचेस्टर यूनाइटेड' के साथ जुड़ने के बाद, अब भारत की मशहूर टायर कंपनी अपोलो टायर्स (Apollo Tyres) की नजरें क्रिकेट पर टिक गई हैं।

कंपनी के वाइस चेयरमैन और एमडी, नीरज कंवर (Neeraj Kanwar) का मानना है कि भारत में अगर किसी ब्रांड को घर-घर तक पहुंचाना है, तो क्रिकेट से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता। आखिर एक टायर बनाने वाली कंपनी को बैट-बॉल के खेल में इतनी दिलचस्पी क्यों जाग रही है? आइये, नीरज कंवर की सोच और इस 'बड़े दांव' के पीछे की कहानी को आसान शब्दों में समझते हैं।

क्रिकेट: भारत को जोड़ने वाली कड़ी (The Great Unifier)
नीरज कंवर ने एक बहुत ही गहरी बात कही है। उनका कहना है कि भारत विविधताओं का देश है, यहाँ भाषा, खान-पान और पहनावा बदल जाता है, लेकिन एक चीज है जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक सबको जोड़ती है—और वो है क्रिकेट

उनका मानना है कि क्रिकेट भारत का "सबसे बड़ा यूनिफायर" (Biggest Unifier) है। जब मैच चलता है, तो कोई यह नहीं देखता कि वो किस राज्य का है, सब बस 'टीम इंडिया' के लिए चिल्लाते हैं। एक ब्रांड के तौर पर अपोलो इसी जज्बे (Emotion) के साथ जुड़ना चाहता है ताकि वो लोगों के दिलों में अपनी जगह बना सके।

ग्लोबल से 'लोकल' लेकिन प्रीमियम
हम सब जानते हैं कि अपोलो टायर्स ने सालों तक ग्लोबल फुटबॉल क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड को स्पॉन्सर किया। इससे उन्हें विदेशों में पहचान मिली। लेकिन अब नीरज कंवर का फोकस भारत के उस 'प्रीमियम' ग्राहक पर है जो क्रिकेट देखता है और अपनी गाड़ियों (SUVs) के लिए अच्छे टायर्स भी चाहता है।

नीरज का कहना है, "हम प्रीमियम दिखना चाहते हैं, और आज क्रिकेट भी बदल गया है। यह अब सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक ग्लैमराइज्ड और हाई-टेक इवेंट बन गया है जो हमारी ब्रांड इमेज के साथ पूरी तरह मेल खाता है।"

युवाओं तक पहुँचने का रास्ता
आज की युवा पीढ़ी (Gen Z) फुटबॉल देखती है, लेकिन क्रिकेट उनके खून में है। आईपीएल (IPL) हो या वर्ल्ड कप, जिस तरह का पागलपन भारत में दिखता है, वो किसी और खेल में नहीं। नीरज कंवर इस नब्ज को पहचान गए हैं। उनका मानना है कि अगर अगली पीढ़ी को अपना ग्राहक बनाना है, तो आपको वहीँ दिखना होगा जहाँ उनकी निगाहें टिकी हैं—यानी क्रिकेट के मैदान पर।

क्या इसका मतलब फुटबॉल छूट जाएगा?
ऐसा नहीं है कि वो फुटबॉल छोड़ रहे हैं। इंडियन सुपर लीग (ISL) में 'चेन्नईयन एफसी' के साथ उनका जुड़ाव बना हुआ है। लेकिन, अब उनका "बड़ा बजट" और "बड़ा फोकस" क्रिकेट की तरफ मुड़ रहा है।

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