फेसबुक इंस्टा के बाद अब WhatsApp की बारी? रूस ने दी ऐसी चेतावनी की यूजर्स के होश उड़ग
News India Live, Digital Desk : हम भारतीयों के लिए व्हाट्सएप (WhatsApp) के बिना एक दिन भी गुजारना मुश्किल है। 'गुड मॉर्निंग' मैसेज से लेकर ऑफिस के काम तक, सब कुछ इसी पर होता है। लेकिन जरा सोचिए, अगर किसी देश में सुबह उठते ही पता चले कि व्हाट्सएप चलना बंद हो गया है, तो कैसा लगेगा?
कुछ ऐसा ही डर अब रूस (Russia) के लोगों को सता रहा है। रूस की सरकार ने व्हाट्सएप को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर उसने अपनी नीतियों में बदलाव नहीं किया, तो पूरे देश में इस ऐप पर बैन लगा दिया जाएगा।
आखिर ऐसा क्या हो गया कि जो ऐप अभी तक वहां चल रहा था, अचानक सरकार की आंखों में खटकने लगा? आइए, इसके पीछे की असली वजह समझते हैं।
फ़साद की जड़: व्हाट्सएप का 'चैनल' फीचर
अगर आप व्हाट्सएप अपडेट करते रहते हैं, तो आपने देखा होगा कि हाल ही में ऐप में "Channels" (चैनल) नाम का एक नया फीचर आया है। यह बिल्कुल टेलीग्राम (Telegram) जैसा है, जहाँ कोई भी व्यक्ति या संस्था अपना चैनल बनाकर लाखों लोगों को एक साथ मैसेज भेज सकती है।
यही फीचर रूस की सरकार, यानी व्लादिमीर पुतिन के प्रशासन को रास नहीं आ रहा।
रूस के सांसदों और सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि व्हाट्सएप अब सिर्फ़ एक 'चैटिंग ऐप' नहीं रहा, बल्कि यह "जनता की राय बदलने वाला टूल" (Mass Communication Tool) बन गया है। उन्हें डर है कि इस 'चैनल्स' फीचर का इस्तेमाल रूस के खिलाफ गलत खबरें या प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किया जा सकता है।
पहले फेसबुक और इंस्टा, अब व्हाट्सएप?
शायद आपको याद हो, रूस में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पहले ही ताला लग चुका है। रूस ने इनकी पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) को "चरमपंथी संगठन" (Extremist Organization) घोषित कर रखा है।
हैरानी की बात यह है कि मेटा का हिस्सा होने के बावजूद व्हाट्सएप अब तक रूस में बैन नहीं था। इसकी वजह यह थी कि रूस इसे सिर्फ़ दोस्तों और परिवार के बीच बातचीत का माध्यम मानता था। लेकिन, 'चैनल्स' फीचर के आते ही व्हाट्सएप का चरित्र बदल गया है। अब यह एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसा बन गया है, और यही बात रूस को पसंद नहीं आई।
सरकार की सीधी चेतावनी
रूस की संसद की एक समिति के प्रमुख ने साफ़ शब्दों में कहा हैअगर व्हाट्सएप ने रूसी विरोधी चैनल्स को अपने प्लेटफार्म पर जगह दी और वहां गलत जानकारी फैलाई गई, तो हमारे पास इसे ब्लॉक करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।"
वहां की सरकार यह नहीं चाहती कि कोई भी बाहरी कंपनी उनके देश के अंदर की जानकारी या खबरों को अपने तरीके से कंट्रोल करे।
क्या सच में बैन हो जाएगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि मेटा इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है। मेटा ने हाल ही में 'चैनल्स' फीचर को ग्लोबल लेवल पर लॉन्च किया है। अगर वो रूस के दवाब में झुकता है तो फीचर हटाना पड़ेगा, और अगर नहीं झुकता, तो रूसी नागरिकों को जल्द ही अपने फोन में वीपीएन (VPN) या किसी दूसरे ऐप का सहारा लेना पड़ सकता है।
फिलहाल, टेक्नोलॉजी और राजनीति की इस जंग में नुकसान आम यूजर्स का ही दिखाई दे रहा है।
--Advertisement--