आयुर्वेद के अनुसार, आपकी सेहत के लिए कौन सी डाइट है सबसे फायदेमंद? जानें क्या खाएं, क्या न खाएं के अनमोल नियम

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News India Live, Digital Desk: आज के समय में हर कोई सेहतमंद (Healthy) रहना चाहता है, लेकिन यह समझ नहीं आता कि क्या खाएं और क्या नहीं। जब बात खान-पान (Diet) की आती है, तो आयुर्वेद (Ayurveda) हमें प्रकृति से जुड़ा एक ऐसा ज्ञान देता है, जो न सिर्फ हमें निरोगी (Healthy) रखता है, बल्कि हमारे शरीर के संतुलन (Balance) को भी बनाए रखता है। आयुर्वेद कहता है कि हर किसी का शरीर (Body Constitution) अलग होता है, और उसी के अनुसार खान-पान होना चाहिए।

क्या है आयुर्वेद का मूल सिद्धांत?

आयुर्वेद तीन मुख्य दोषों (Doshas) पर आधारित है: वात (Vata)पित्त (Pitta) और कफ (Kapha)। आपकी प्रकृति (Body Type) इन दोषों के मिले-जुले संतुलन पर निर्भर करती है। स्वस्थ रहने के लिए, आपको ऐसे खाद्य पदार्थ चुनने चाहिए जो आपके दोषों को शांत (Pacify Doshas) करें और शरीर में संतुलन बनाएं।

आयुर्वेद के अनुसार, सेहतमंद रहने के लिए कुछ मुख्य नियम:

  1. ताजा और प्राकृतिक भोजन:
    • क्या खाएं: हमेशा ताजा (Fresh)मौसमी (Seasonal) और प्राकृतिक (Natural) रूप से उगाया गया भोजन करें। जैसे, ताज़ी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दालें, और दूध (Milk) से बने उत्पाद (यदि आपके शरीर को सूट करते हों)।
    • क्या न खाएं: बासी (Stale)पैक्ड (Packaged)डिब्बाबंद (Canned)तले हुए (Fried) और प्रसंस्कृत (Processed) भोजन से बचें। ये आपकी पाचन शक्ति (Digestion) को बिगाड़ सकते हैं।
  2. अपने दोष को समझें (Know Your Dosha):
    • वात (Vata): जो लोग वात प्रकृति के होते हैं, उन्हें गर्म (Warm)स्थिर (Grounding) और पचने में आसान (Easy to digest) भोजन करना चाहिए। जैसे, घी, तिल का तेल, पके हुए फल, जड़ वाली सब्जियां (गाजर, चुकंदर)। इन्हें कड़वा (Bitter)कषैला (Astringent) और बहुत ठंडा (Very cold) भोजन कम खाना चाहिए।
    • पित्त (Pitta): पित्त प्रकृति वाले लोगों को ठंडा (Cooling)मीठा (Sweet)कड़वा (Bitter) और कसैला (Astringent) भोजन खाना चाहिए। जैसे, खीरा, लौकी, नारियल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध। इन्हें खट्टा (Sour)नमकीन (Salty)तीखा (Spicy) और गर्म (Hot) भोजन कम खाना चाहिए।
    • कफ (Kapha): कफ प्रकृति वाले लोगों के लिए गर्म (Warm)हल्का (Light)सूखा (Dry) और कसैला (Astringent) भोजन अच्छा होता है। जैसे, जौ, बाजरा, शहद, अदरक, गर्म पानी। इन्हें ठंडा (Cold)तैलीय (Oily)मीठा (Sweet) और भारी (Heavy) भोजन कम खाना चाहिए।
  3. खाने का सही तरीका:
    • धीरे-धीरे खाएं: भोजन हमेशा धीरे-धीरेचबा-चबाकर (Chew properly) और शांति से (Calmly) करना चाहिए।
    • समय पर खाएं: दिन में 3-4 बार नियमित अंतराल (Regular intervals) पर भोजन करें।
    • अत्यधिक न खाएं: पेट को तीन हिस्सों में बांटें – एक तिहाई भोजन, एक तिहाई पानी और एक तिहाई हवा के लिए खाली छोड़ दें।
    • क्या न खाएं: खाली पेट या बहुत पेट भरे होने पर पानी न पिएं। बासी भोजन का सेवन तो बिलकुल न करें।
  4. मौसम के अनुसार भोजन (Seasonal Diet):
    • आयुर्वेद ऋतुओं के अनुसार भोजन में बदलाव की सलाह देता है। जैसे, गर्मी (Summer) में ठंडा और सर्दी (Winter) में गर्म भोजन करना चाहिए। बारिश (Monsoon) में आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए।

संक्षेप में:
आयुर्वेद एक समग्र स्वास्थ्य (Holistic Health) का दृष्टिकोण है। यह सिर्फ सही डाइट (Right Diet) पर ही नहीं, बल्कि जीवनशैली (Lifestyle)नींद (Sleep) और मानसिक शांति (Mental Peace) पर भी जोर देता है। यदि आप इन आयुर्वेदिक सिद्धांतों (Ayurvedic Principles) का पालन करते हैं, तो आप न केवल बीमारियों से बचे रहेंगे, बल्कि एक ऊर्जावान (Energetic) और सेहतमंद (Healthy) जीवन जी पाएंगे।

याद रखें, हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है, इसलिए यदि संभव हो तो किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक (Ayurvedic practitioner) से सलाह लेना सबसे अच्छा होता है।

 

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