फैटी लीवर: लीवर मानव शरीर के आवश्यक अंगों में से एक है। लेकिन जब तक लिवर संबंधी समस्या नहीं हो जाती तब तक लोगों को इस पर ध्यान नहीं जाता। लिवर शरीर को फिट रखने का काम करता है। लिवर से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर शराब पीने से होती हैं क्योंकि शराब लिवर की सबसे बड़ी दुश्मन है। लेकिन शराब के बिना भी लिवर की गंभीर समस्या यानी फैटी लिवर हो सकती है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर एक ऐसी बीमारी है जिसमें बिना शराब पिए भी लीवर के आसपास वसा जमा होने के कारण लीवर क्षतिग्रस्त हो जाता है। नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग खराब जीवनशैली और खराब आहार के कारण होता है। गैर-अल्कोहलिक फैटी लीवर से लीवर खराब होने का सबसे बड़ा खतरा होता है।
नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर क्या है?
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर में लीवर के आसपास वसा जमा हो जाती है। इसके कारण अधिक वजन, मेटाबोलिक सिंड्रोम और इंसुलिन प्रतिरोध हैं। अगर समय रहते फैटी लिवर का इलाज न किया जाए तो लिवर में सूजन आ जाती है और लिवर खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
बहुत अधिक वसा लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर लिवर की इस गंभीर बीमारी से बचना है तो वजन कम करना जरूरी है। वजन घटाने के लिए आहार और व्यायाम पर मुख्य ध्यान देना चाहिए।
फैटी लीवर के लिए आहार में करें ये बदलाव
अधिक वजन होने से फैटी लीवर रोग होता है। खासकर पेट के आसपास की चर्बी लिवर के लिए हानिकारक होती है। इससे बचने के लिए जिन लोगों का वजन अधिक है उन्हें धीरे-धीरे अपने शरीर का वजन कम करना चाहिए। पेट और कमर के आसपास बढ़ गई है चर्बी तो डाइट में ये बदलाव कर शुरू करें वजन कम करना
डाइट में करें ये बदलाव
-आहार में वसा की मात्रा नियंत्रित रखें। विशेष रूप से ट्रांस और संतृप्त वसा से बचें।
– आहार में ओमेगा 3 फैटी एसिड, बादाम, एवोकैडो, जैतून का तेल शामिल करें।
– अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेने से बचें।
– पैकेटबंद खाना, मिठाई और कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से बचें।
खान-पान में बदलाव के साथ-साथ जीवनशैली में भी बदलाव जरूरी है। लिवर को स्वस्थ रखने और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर से बचने के लिए दिन में कम से कम 30 मिनट किसी भी प्रकार का व्यायाम करें। 30 मिनट के दौरान योग, पैदल चलना, साइकिल चलाना जैसे व्यायाम किए जा सकते हैं। सिर्फ 30 मिनट का व्यायाम फैटी लीवर से लेकर मधुमेह तक हर चीज में मदद कर सकता है।