"40 नहीं, 60 सीटें होतीं हमारी!"... पटना की रैली में उपेंद्र कुशवाहा ने उठाया बिहार की 'हकमारी' का मुद्दा

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चुनाव का मौसम अभी दूर है, लेकिन बिहार की सियासत में पारा अभी से चढ़ने लगा है। आज पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एक ऐसी बात कह दी है, जो आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बन सकती है।

हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए कुशवाहा ने सिर्फ चुनावी भाषण नहीं दिया, बल्कि उन्होंने बिहार के साथ हुए 'अन्याय' का एक ऐसा मुद्दा उठाया, जो हर बिहारी को सोचने पर मजबूर कर सकता है।

क्या है 60 सीटों का वो गणित?

उपेंद्र कुशवाहा ने भरे मंच से कहा कि अगर देश में समय पर 'परिसीमन' यानी आबादी के हिसाब से लोकसभा सीटों का बंटवारा हुआ होता, तो आज बिहार की झोली में 40 नहीं, बल्कि 60 लोकसभा सीटें होतीं।

इसका मतलब क्या है?
सरल भाषा में समझें तो, हमारे देश में किस राज्य से कितने सांसद (MP) चुने जाएंगे, यह वहाँ की जनसंख्या पर निर्भर करता है। कुशवाहा का कहना है कि बिहार की आबादी सालों से बढ़ रही है, लेकिन लोकसभा में उसकी सीटों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है। अगर जनसंख्या के सही अनुपात में सीटें बांटी जातीं, तो आज संसद में बिहार के 20 और सांसद होते, जो बिहार की आवाज को और मजबूती से उठाते।

उन्होंने कहा कि यह बिहार के लोगों की 'हकमारी' है और उनकी आवाज को दिल्ली में कमजोर करने की साज़िश है।

यह सिर्फ एक बयान नहीं, भविष्य की राजनीति का बड़ा दांव है

राजनीति के जानकार मानते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा का यह बयान सिर्फ एक चुनावी नारा नहीं है। यह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले खेला गया एक बहुत बड़ा और सोचा-समझा दांव है।

  • बिहार की अस्मिता का मुद्दा: इस बयान के जरिए उन्होंने खुद को बिहार के हक के लिए लड़ने वाले नेता के तौर पर पेश किया है।
  • एनडीए पर दबाव: एनडीए का हिस्सा होते हुए भी, कुशवाहा ने यह मुद्दा उठाकर अपने सहयोगियों पर भी दबाव बनाया है कि वे बिहार के हितों की बात करें।
  • नया समीकरण बनाने की कोशिश: वह इस मुद्दे के जरिए बिहार के लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि असली विकास तभी होगा, जब राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की ताकत बढ़ेगी।

उपेंद्र कुशवाहा के इस एक बयान ने बिहार की ठहरी हुई राजनीति में एक पत्थर फेंक दिया है। अब देखना यह है कि यह 'परिसीमन का बाण' आने वाले चुनाव में कितना असर दिखाता है, और बाकी पार्टियां इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं।

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