ISL's future in Limbo: 2025-26 के लिए टलीं सारी योजनाएं, MRA पर फंसा पेंच

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News India Live, Digital Desk: ISL's future in Limbo: भारतीय फुटबॉल प्रेमियों और क्लबों के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। इंडियन सुपर लीग (ISL) के 2025-26 सीज़न को लेकर की जा रही भविष्य की सभी रणनीतिक योजनाएँ और तैयारियाँ फिलहाल अटक गई हैं। इसकी मुख्य वजह है ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) और फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (FSDL) के बीच बहुप्रतीक्षित मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (MRA) पर किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाना।

यह एमआरए एक बेहद महत्वपूर्ण समझौता है जो AIFF और FSDL के बीच इंडियन फुटबॉल के वाणिज्यिक अधिकारों, रेवेन्यू शेयरिंग, लीग की संरचना और विशेष रूप से प्रमोशन और रेलिगेशन प्रणाली को नियंत्रित करता है। कई हफ़्तों की बातचीत के बाद भी, अभी तक इस पर कोई अंतिम मुहर नहीं लग पाई है, जिसके चलते ISL और आई-लीग के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

इस गतिरोध का सीधा असर कई बड़े फ़ैसलों पर पड़ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा लीग से क्लबों के प्रमोशन और रेलिगेशन का है, विशेष रूप से आईएसएल और आई-लीग के बीच की आवाजाही का। इसके अलावा, लीग में भाग लेने वाली टीमों की संख्या और अगले कुछ सीज़न के लिए पूरे फ़ुटबॉल ढांचे का निर्धारण भी इस समझौते पर निर्भर करता है। जब तक यह समझौता नहीं हो जाता, इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर कोई स्पष्टता नहीं आ पाएगी।

एआईएफएफ अपने नए संविधान के तहत, भारतीय फ़ुटबॉल को एशियन फ़ुटबॉल कन्फेडरेशन (AFC) के क्लब लाइसेंसिंग नियमों और भविष्य के लिए निर्धारित 'रोडमैप' के साथ संरेखित करना चाहता है। इसमें यह भी शामिल है कि भारतीय फ़ुटबॉल के पिरामिड को ऊपर से नीचे तक सही तरीके से स्थापित किया जाए। यह समझौता न हो पाने के कारण एआईएफएफ की यह महत्वपूर्ण रणनीति भी ठप पड़ी है।

इस अनिश्चितता ने न केवल लीग आयोजकों, बल्कि इंडियन सुपर लीग में भाग लेने वाले क्लबों और भारतीय फुटबॉल के समग्र भविष्य की रणनीतिक योजना को भी प्रभावित किया है। फ़ुटबॉल प्रशंसकों को उम्मीद है कि जल्द ही कोई समाधान निकलेगा ताकि भारतीय फ़ुटबॉल विकास के अपने अगले चरण में आगे बढ़ सके।

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