PKVY Yojana 2025: किसानों को जैविक खेती पर जबरदस्त सब्सिडी, जानिए पूरी डिटेल और फायदें

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PKVY Yojana 2025: क्या आप किसान हैं और सोचते हैं कि अपनी जमीन पर परंपरागत खेती की जगह जैविक खेती शुरू करें? अब इस फैसले को लेना और भी आसान हो गया है, क्योंकि सरकार की “परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)” किसानों को जैविक खेती के हर स्तर पर सीधी आर्थिक मदद देती है। इसके साथ ही, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए “जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER)” भी किसानों को खास सब्सिडी और प्रोसेसिंग की सुविधा देता है। आइए जानते हैं इन दोनों योजनाओं की पूरी जानकारी।

क्या है PKVY Yojana?

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई स्कीम है, जिसका मकसद देशभर के किसानों में जैविक खेती को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत किसान उत्पादन, प्रसंस्करण, प्रमाणीकरण और मार्केटिंग तक, पूरे प्रोसेस में मदद पा सकते हैं। खास बात — स्कीम पूरे भारत के हर राज्य में लागू है (पूर्वोत्तर सहित)।

कितना और कैसे मिलता है लाभ?

PKVY Yojana के तहत:
तीन वर्षों तक प्रति हेक्टेयर ₹31,500 तक की सहायता दी जाती है।

इसमें से ₹15,000 प्रति हेक्टेयर की सीधी आर्थिक मदद किसान के खाते में ऑन-फॉर्म/ऑफ-फार्म जैविक इनपुट के लिए ट्रांसफर की जाती है (Direct Benefit Transfer – DBT)।

यह मदद खास तौर पर लघु और सीमांत किसानों, या छोटे जोत के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है।

MOVCDNER Scheme: सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए

अगर आप असम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के किसान हैं, तो आपके लिए है “जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER)”।

इसमें क्या है खास?

तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर ₹46,500 तक की सहायता मिलती है।

₹32,500 प्रति हेक्टेयर ऑफ-फार्म/ऑन-फार्म जैविक इनपुट्स के लिए,

₹15,000 की डायरेक्ट ट्रांसफर सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में जाती है।

इस स्कीम में “किसान उत्पादक संगठन (FPO)” बनाने, जैविक मार्केटिंग सपोर्ट, प्रोसेसिंग और प्रमाणीकरण जैसी कई सुविधाएं भी शामिल हैं।

क्यों हैं ये स्कीमें आपके लिए फायदेमंद?

जैविक उत्पादन लागत कम, उपज की कीमत ज्यादा: जैविक उत्पाद बाजार में ठीक-ठाक दामों पर बिकते हैं।

सरकार की पूरी मदद: न्यूनतम खर्च में खेती शुरू – मार्केटिंग/प्रमाणीकरण की स्थापना तक।

मिट्टी की सेहत और पर्यावरण की सुरक्षा: रासायनिक खाद-मिट्टी के प्रदूषण से मुक्त।

स्वस्थ फ़सल और उपभोक्ता में बढ़ता भरोसा: जैविक खाने की मांग तेजी से बढ़ रही है।

सरकार की नई पहल: हर किसान तक लाभ पहुंचे

दोनों योजनाएं DBT यानी Direct Benefit Transfer से चलती हैं—सीधा बैंक खाते में पैसे।

आवेदन प्रक्रिया सरल, पंचायत से लेकर जिला स्तरीय कृषि कार्यालय में मदद मिलती है।

फॉर्म और गाइडलाइन कृषि विभाग की वेबसाइट या स्थानीय कार्यालय पर उपलब्ध हैं।

 

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