स्वास्थ्य अलर्ट: लगातार रील देखने की आदत कैसे कर रही है आपकी आंखों को नुकसान

स्वास्थ्य अलर्ट: लगातार रील देखने की आदत कैसे कर रही है आपकी आंखों को नुकसान
स्वास्थ्य अलर्ट: लगातार रील देखने की आदत कैसे कर रही है आपकी आंखों को नुकसान

आजकल सोशल मीडिया पर रील देखने की आदत तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर इंस्टाग्राम, यूट्यूब, टिकटॉक और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर। हालांकि यह कुछ समय के लिए मनोरंजन का साधन हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदत धीरे-धीरे आंखों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।

दिल्ली स्थित यशोभूमि इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में आयोजित एशिया पैसिफिक एकेडमी ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी (APAO) और ऑल इंडिया ऑप्थैल्मोलॉजिकल सोसाइटी (AIOS) की संयुक्त बैठक में देश-विदेश के प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञों ने इस विषय पर चेतावनी जारी की।

डिजिटल आई स्ट्रेन: एक खामोश महामारी

डॉ. ललित वर्मा, एपीएओ 2025 कांग्रेस के अध्यक्ष ने बताया कि लगातार स्क्रीन पर समय बिताने की आदत, विशेषकर रील्स देखने से, बच्चों और युवाओं में ड्राई आई, निकट दृष्टिदोष, आंखों में दबाव और यहां तक कि प्रारंभिक भेंगापन जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। उन्होंने इसे “डिजिटल आई स्ट्रेन की खामोश महामारी” करार दिया।

एक उदाहरण साझा करते हुए उन्होंने बताया कि हाल ही में एक छात्र आंखों में जलन और धुंधली दृष्टि की समस्या लेकर उनके पास पहुंचा। जांच में सामने आया कि लगातार रील देखने के कारण उसकी आंखों की नमी कम हो चुकी थी।

20-20-20 नियम की सलाह

डॉ. वर्मा ने सभी को 20-20-20 नियम अपनाने की सलाह दी, जिसमें हर 20 मिनट के स्क्रीन उपयोग के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखना चाहिए। इससे आंखों को विश्राम मिलता है और तनाव कम होता है।

रील्स की डिजाइन और आंखों पर प्रभाव

डॉ. हरबंस लाल, AIOS के अध्यक्ष ने बताया कि रील्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे ध्यान आकर्षित करें और लोगों को अधिक देर तक स्क्रीन से जोड़े रखें। इससे पलकें झपकाने की दर 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है, जो आंखों में सूखापन और एकोमोडेशन स्पाज्म (निकट-दृष्टि और दूर-दृष्टि के बीच फोकस में परेशानी) का कारण बनती है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इस आदत पर काबू नहीं पाया गया तो इससे दृष्टि संबंधी स्थायी समस्याएं भी हो सकती हैं।

बढ़ती निकट दृष्टिदोष की दर

डॉ. लाल के अनुसार, छोटे बच्चों में निकट दृष्टिदोष पहले की तुलना में कहीं तेजी से बढ़ रहा है। लगातार स्क्रीन एक्सपोजर के कारण अब 30 वर्ष की उम्र तक चश्मे के नंबर में बार-बार बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जबकि पहले यह समस्या औसतन 21 वर्ष की उम्र तक सीमित रहती थी।

सामाजिक और मानसिक प्रभाव

डॉ. समर बसाक, AIOS अध्यक्ष ने इस आदत के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग रील्स में इतने डूब जाते हैं कि वे वास्तविक जीवन के संबंधों की उपेक्षा करने लगते हैं। इससे पारिवारिक रिश्तों पर असर पड़ता है और काम या पढ़ाई में एकाग्रता भी कम हो जाती है।

डॉ. पार्थ बिस्वास, AIOS के भावी अध्यक्ष ने बताया कि कृत्रिम प्रकाश, तीव्र दृश्य बदलाव और लंबे समय तक पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने से आंखों पर अत्यधिक दबाव बन रहा है, जिसे उन्होंने ‘रील विजन सिंड्रोम’ का नाम दिया है।


क्या करें: विशेषज्ञों की सलाह

  • 20-20-20 नियम का पालन करें।

  • स्क्रीन देखते समय अधिक बार पलक झपकाने का प्रयास करें।

  • स्क्रीन टाइम को सीमित करें, विशेषकर बच्चों के लिए।

  • हर घंटे कुछ मिनट का ब्रेक अवश्य लें।

  • आंखों को नम रखने के लिए पर्याप्त पानी पिएं और यदि आवश्यक हो तो आंखों की दवा लें।

  • नीली रोशनी से बचाव के लिए एंटी-ग्लेयर चश्मे का प्रयोग करें।

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