सुप्रीम कोर्ट: टीएमसी के खिलाफ विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी को झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आपका विज्ञापन गलत है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने टीएमसी के खिलाफ बीजेपी के विज्ञापन पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने टीएमसी के खिलाफ बीजेपी के विज्ञापन पर 4 जून तक रोक लगा दी थी. इसके बाद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. अब वहां से भी बीजेपी को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी से कहा कि आपका प्रतिद्वंद्वी आपका दुश्मन नहीं है.
बीजेपी के वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि हमारा विज्ञापन तथ्यों पर आधारित है. इस पर जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि कृपया आवेदन में संबंधित पेज देखें. आप यहां बात को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं। हम हस्तक्षेप करने को तैयार नहीं हैं. पटवालिया ने कहा कि हमारी बात नहीं सुनी गई. मेरा तर्क सुनो. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि प्रथम दृष्टया आपका विज्ञापन आपत्तिजनक है.
हम और अधिक कड़वाहट को बढ़ावा नहीं दे सकते
कोर्ट ने कहा कि हम और अधिक कड़वाहट को बढ़ावा नहीं दे सकते. आप खुद को प्रमोट कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हाई कोर्ट आपकी बात सुन रहा है तो हम इसमें क्यों पड़ें. जवाब में पटवालिया ने कहा कि अगले मतदान की तारीख 1 जून होगी. कृपया मेरी बात सुनें। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि ऐसे विज्ञापन से मतदाता को नहीं बल्कि आपको फायदा होगा.
आपका प्रतिद्वंद्वी आपका दुश्मन नहीं है – सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि इस मामले की सुनवाई न करें. बेवजह केस की जरूरत नहीं है. वह यह नहीं कह रहे कि चुनाव मत लड़ो. माफ़ करें हम इच्छुक नहीं हैं. पटवालिया ने कहा कि वह आवेदन वापस लेना चाहते हैं. कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी से कहा कि आपका प्रतिद्वंद्वी आपका दुश्मन नहीं है.
क्या है पूरा मामला
टीएमसी ने बीजेपी के विज्ञापनों को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया है. टीएमसी ने दावा किया कि बीजेपी ने अपने विज्ञापन में पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोप लगाए हैं. मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया. आयोग ने बीजेपी को नोटिस जारी कर कहा था कि इस तरह का विज्ञापन मीडिया में प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए. इसके बाद मामला कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच तक पहुंच गया. कोर्ट ने इस पर 4 जून तक रोक लगा दी. बीजेपी ने दायर की अपील. हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.