इस 'दैवीय' पेड़ की कहानी सुनकर आप चौंक जाएंगे, जिसकी जड़ें पाताल और शाखाएं स्वर्ग में हैं!

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क्या आप एक ऐसे पेड़ की कल्पना कर सकते हैं, जो साढ़े पांच हजार (5,500) साल से भी ज्यादा पुराना हो? एक ऐसा पेड़, जिसे स्वर्ग से खुद भगवान श्री कृष्ण धरती पर लाए हों? एक ऐसा पेड़, जिसमें न कभी फल लगता है, न बीज होता है और जिसकी कलम से दूसरा पौधा भी नहीं उगता?

यह कोई कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले में स्थित यह चमत्कारी और रहस्यमयी पारिजात वृक्ष आज भी शान से खड़ा है और अपने सीने में महाभारत काल से जुड़े कई गहरे रहस्य छिपाए हुए है। यह सिर्फ़ एक वृक्ष नहीं, बल्कि आस्था और आश्चर्य का जीता जागता सबूत है।

क्या है इस 'स्वर्ग के पेड़' की कहानी?

इस अद्भुत पारिजात वृक्ष से जुड़ी दो बहुत ही रोचक किंवदंतियाँ हैं:

1. जब श्री कृष्ण लाए स्वर्ग से ये फूल:
एक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने उनसे स्वर्ग में खिलने वाले पारिजात पुष्प लाने की ज़िद की थी। अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए, श्रीकृष्ण ने इंद्र देव से युद्ध करके पारिजात वृक्ष की एक शाखा जीत ली और उसे लाकर द्वारका में सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया। कहा जाता है कि यह वही 'हरसिंगार' वृक्ष है, जिसे पारिजात भी कहते हैं।

2. जब अर्जुन ने मां कुंती के लिए रचा इतिहास:
स्थानीय और सबसे प्रचलित कथा महाभारत काल से जुड़ी है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहाँ काफी समय बिताया था। इस दौरान माता कुंती भगवान शिव की पूजा करना चाहती थीं, लेकिन आस-पास कोई मंदिर नहीं था। अपनी माता की इच्छा पूरी करने के लिए, अर्जुन ने यहाँ एक ही रात में अपने बाणों से एक शिव मंदिर (जिसे आज 'महाभारत कालीन मंदिर' के नाम से जाना जाता है) का निर्माण किया। माता कुंती पूजा के लिए आकाश से पुष्प चाहती थीं, इसलिए अर्जुन अपनी तपस्या से इस पूरे पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर ले आए।

कहा जाता है कि माता कुंती प्रतिदिन इसके सुनहरे फूलों से शिव का अभिषेक करती थीं।

इस वृक्ष में क्या रहस्यमय और विशेष है?

यह वृक्ष वनस्पतिशास्त्रियों के लिए भी एक रहस्य बन गया है।

अनोखा: यह दुनिया में अपनी तरह का इकलौता वृक्ष माना जाता है। इसकी किसी भी शाखा को काटकर दूसरी जगह लगाने से नया पौधा नहीं उगता।

फल या बीज नहीं: इस वृक्ष पर कभी फल या बीज नहीं लगते।
रंग बदलने वाले फूल: इसके सफेद फूल सुबह होते ही सुनहरे हो जाते हैं।

विशालकाय: इसका तना और शाखाएँ इतनी मोटी और विशाल हैं कि इन्हें देखकर इसकी आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।

इसे देखकर ऐसा लगता है मानो यह सचमुच किसी दूसरी दुनिया से आया हो। इन्हीं गुणों के कारण यह करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है और दूर-दूर से लोग इस 'दिव्य वृक्ष' के दर्शन के लिए आते हैं।

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