चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को नए साल के अवसर पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि ताइवान के साथ एकीकरण को कोई नहीं रोक सकता। बीजिंग, स्व-शासित ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और उसने स्पष्ट किया है कि वह इसे अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल का प्रयोग करने से नहीं चूकेगा। हाल के वर्षों में इस लोकतांत्रिक द्वीप पर चीन का दबाव लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के मई में सत्ता संभालने के बाद से ताइवान के आसपास तीन दौर के सैन्य अभ्यास हो चुके हैं। ताइवान के अधिकारियों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में हुआ अंतिम युद्धाभ्यास काफी बड़ा था, हालांकि बीजिंग ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की।
अपने भाषण में, शी जिनपिंग ने कहा, “ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले चीनी एक परिवार हैं। कोई भी हमारे खून से जुड़े संबंधों को तोड़ नहीं सकता है। मातृभूमि के पुनर्मिलन की ऐतिहासिक प्रवृत्ति को रोका नहीं जा सकता।” ज्ञात हो कि चीन 23 मिलियन आबादी वाले ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और वह इसके साथ दूसरे देशों के औपचारिक संबंधों पर आपत्ति जताता रहा है। अमेरिका सहित अधिकांश देशों ने ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है, लेकिन अमेरिका अनौपचारिक रूप से ताइवान का प्रमुख समर्थक है और उसे हथियार प्रदान करता है। चीन ने सैन्य बल के माध्यम से ताइवान पर कब्जा करने का संकल्प लिया है और लगभग हर दिन द्वीप के निकट अपने पोत और सैन्य विमान भेजता है।
अमेरिका द्वारा ताइवान को सैन्य सहायता पर चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने हाल ही में अमेरिका द्वारा ताइवान को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर कड़ी आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ताइवान को अमेरिकी सैन्य सहायता से असंतुष्ट है और उसने यूएस के समक्ष कड़ा विरोध किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की थी कि ताइवान को 5710 लाख डॉलर की सैन्य सहायता आवंटित की जाएगी, जो राष्ट्रपति के अधिकार के तहत किसी विदेशी राज्य को सहायता देने का कदम है। इस पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, अमेरिका ने एक बार फिर चीन के ताइवान क्षेत्र को सैन्य सहायता और हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है। यह एक-चीन सिद्धांत और तीन चीन-अमेरिका संयुक्त विज्ञप्तियों, विशेष रूप से 1982 की 17 अगस्त की विज्ञप्ति का गंभीर उल्लंघन है।