लखनऊ, 10 मार्च (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के पत्र-पत्रिका प्रकाशन विभाग की ओर से ‘साहित्योदय विकसित भारत 2047 साहित्य का अमृत काल’ का आयोजन रविवार को भाजपा मुख्यालय सभागार में किया गया।
इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं पत्र-पत्रिका प्रकाशन प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शिव शक्ति बक्शी ने कहा कि सांस्कृतिक आध्यात्मिक चेतना को जागृति करने वाला उत्तर प्रदेश है। यहां के साहित्यकारों ने प्राचीन काल से ही एक नई चेतना को जागृत किया है। अमृत काल का साहित्य कैसा हो? इस दृष्टी से यही सही समय है,भारत का अनमोल समय है। उन्होंने कहा कि यह अमृत काल केवल भारत के लिए ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का काल है। मोदी द्वारा दिये गए पंच प्रणों से ही विकसित भारत का लक्ष्य पूरा होगा। पिछले एक दशक में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। देश के नागरिकों में एक नया आत्मविश्वास का संचार हुआ है। एक नया भारत बनाने के लिए साहित्यकार एकजुट हों।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि किसी भी देश का साहित्य उस देश के राष्ट्र जीवन का मार्गदर्शी नहीं है। भारतीय साहित्य नीतिनिर्देशक तत्व बने हुए हैं। मार्गदर्शी साहित्य केवल भारत का है। यहां के नाटक कला गीत संगीत मनोरंजन के साथ मार्गदर्शन भी करतें है। अर्थशास्त्र, व्याकरण, योगसूत्र, नाट्यकला भारत में सबसे पहले आई। योग को सारी दुनिया ने स्वीकार किया ये मोदी के कार्यकाल के सुपरिणाम है।
विशिष्ट अतिथि एवं प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि साहित्योदय विकसित भारत/2047 के माध्यम से भारत अपना खोया गौरव वैश्विक मंच पर हासिल कर रहा है। साहित्य का असर दूरगामी होता है।
पत्र-पत्रिका प्रकाशन प्रकोष्ठ के प्रदेश के सह संयोजक राजकुमार ने कहा कि साहित्योदय के माध्यम से अमृतकाल में वैभव सम्पन्न भारत की संकल्पना कर रहें है। आज़ादी के बाद समाज को तोड़ने वाले साहित्यों की भी रचना हुई, अब साहित्य सभी को जोड़ने का कार्य मार्ग प्रस्तुत कर रहा है। वर्तमान की आवश्यकतानुरूप साहित्य की रचना समाज को सकारात्मक दिशा में बदलने के लिए हो रही है। एकात्ममानववादी सरकार को लाकर ही साहित्योदय का सकारात्मक प्रयास कर सकतें है।
इस साहित्योदय में विभिन्न क्षत्रों से पधारे साहित्यकारों का सम्मान अंगवस्त्रों से किया गया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद पांडेय ने किया। जिसमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के सभी विधाओं के साहित्यकार उपस्थित रहे, जिसमें प्रमुख रूप से पायल सोनी, सत्या सिंह, नवल किशोर, अमित मल्ल, महेंद्र भीष्म, रेनू द्विवेदी, विनय अग्रवाल उपस्थित थे।