नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। साहित्य अकादेमी में मनाए जा रहे स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत सोमवार को “साहित्य में स्वच्छता की अवधारणा” विषय पर प्रख्यात साहित्यकार अशोक लव ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। तृतीय तल स्थित सभाकक्ष में हुए इस व्याख्यान के आरंभ में अशोक लव का स्वागत अकादेमी के उपसचिव प्रशासन कृष्णा किंबहुने ने अंग वस्त्रम एवं साहित्य अकादेमी के प्रकाशन भेंट करके किया।
साहित्यकार अशोक लव ने अपने लेखन और विभिन्न साहित्यकारों से हुए संपर्क के संस्मरणों के आधार पर अपने वक्तव्य में कहा कि हर साहित्यकार के समाज के प्रति कुछ दायित्व होते हैं, जिनका उसे पूरी सजगता से पालन करना चाहिए। इसमें समाज के नैतिक आचरण की स्वच्छता को बरकरार रखना उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। नैतिक स्वच्छता की प्रस्तुति के कारण ही कोई रचना पूरे परिवार द्वारा पढ़ी जा सकती है। साहित्य अकादेमी ऐसे ही संस्कार देने वाली संस्था है। चरित्र की स्वच्छता को चित्रित करना ही साहित्यकार का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हीं लेखकों का साहित्य अमर है जिन्होंने यथार्थ को इस तरह से प्रस्तुत किया, जिसे हर कोई पाठक बिना किसी संकोच के पढ़ सके।
इससे पहले साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव द्वारा कार्यालय के सभी कर्मचारियों को स्वच्छता शपथ दिलाई गई।