बीकानेर, 22 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा ‘विश्व ऊंट दिवस’ शनिवार को समारोहपूर्वक मनाया गया। जिनमें 500 से अधिक सिरोही, गंगाशहर, देशनोक, बीकानेर के ऊंट पालकों, महिला किसान, आमजन के साथ-साथ परिषद के बीकानेर स्थित विभिन्न संस्थान/केन्द्र के वैज्ञानिकों, एनआरसीसी परिवार ने अपनी सहभागिता निभाई। केन्द्र द्वारा इस उपलक्ष्य पर ऊंट दौड़, ऊंट सजावट प्रतियोगिता, ऊंट व ऊंट गाड़ा प्रदर्शन प्रतियोगिता, स्कूली विद्यार्थियों हेतु चित्रकला प्रतियोगिता, ‘ऊंट के बिना जीवन‘ विषयक कार्यशाला एवं ऊंट : आज और कल‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी, पशु स्वास्थ्य शिविर व संवाद गतिविधियों का आयोजन किया गया। केन्द्र द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ.आर्तबन्धु साहू, निदेशक, राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु ने कहा कि निश्चित तौर पर आज का दिवस एक विशेष उद्देश्य से प्रेरित है उसी अनुरूप संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2024 को अंतरराष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित किया गया है। डॉ.साहू ने राजकीय पशु ऊंट की स्थिति, इसमें अपेक्षित बदलाव, ऊंटनी के दूध में विद्यमान औषधीय गुणों के कारण इसे व्यवसाय के रूप में अपनाने, दूध का व्यवस्थित संग्रहण, इसमें गैर सरकारी संगठनों की भूमिका तथा इस प्रजाति के पर्यटनीय महत्व को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
एन.आर.सी.सी. के निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.आर.के.सावल ने ऊंट को एक विशेष पशु बताते हुए कहा कि आज का यह दिवस, रेगिस्तान में उष्ट्र प्रजाति के अतुलनीय योगदान को उजागर करने का है क्योंकि मानव सभ्यता के विकास क्रम में ऊंट की बदौलत ही आज हम आधुनिकता के दौर में प्रवेश कर सके हैं। उन्होंने कहा कि एन.आर.सी.सी. उष्ट्र प्रजाति के सैद्धांतिक व व्यावहारिक पक्ष को लेकर आगे बढ़ रहा है ताकि ऊंट व इससे संबद्ध समुदायों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो सकें।
विशिष्ट अतिथि डॉ.नितिन गोयल, निदेशक, राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ऊंटों के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि रेगिस्तान में ग्रामीण संस्कृति के परिचायक ऊंट के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं थी । डॉ.गोयल ने ऊंटों की खरीद-फरोख्त, इसके दूध का प्राचीन समय से महत्व, आमजन में इसकी कीमत/ उपयोगिता से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भों को प्रस्तुत किया ।
केन्द्र के डॉ.वेद प्रकाश, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने विश्व ऊंट दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम समन्वयक डॉ.शान्तनु रक्षित ने बताया कि इस दिवस के माध्यम से ऊंट से जुड़े हितधारकों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया ताकि उष्ट्र के संरक्षण व इसके विकास को बढ़ावा मिल सकें ।