14 घंटे की शिफ्ट: कर्नाटक में नौकरी में आरक्षण के मुद्दे पर हंगामा अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि राज्य सरकार की एक और योजना ने बवाल मचाना शुरू कर दिया है। दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अब राज्य में आईटी सेक्टर में काम करने वालों की शिफ्ट 14 घंटे करने पर विचार कर रही है। यह फैसला आईटी/आईटीईएस/बीपीओ सेक्टर के कर्मचारियों पर भी लागू होगा। इस योजना की सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक आलोचना हो रही है। वहीं, भारतीय आईटी सेक्टर की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति द्वारा काम के घंटों को लेकर हफ्ते में 70 घंटे काम करने का सुझाव एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
पहले नारायणमूर्ति और अब सिद्धारमैया
गौरतलब है कि जब इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने अक्टूबर 2023 में हफ़्ते में 70 घंटे काम करने का बयान दिया था, तो पूरे देश में इसकी आलोचना हुई थी। हालांकि सज्जन जिंदल और भाविश अग्रवाल जैसे दिग्गजों ने उनके बयान का समर्थन किया था, लेकिन बेंगलुरु के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट (दिल के डॉक्टर) डॉ. दीपक कृष्णमूर्ति ने नारायण मूर्ति के बयान का विरोध किया है। उन्होंने कहा था कि दिन में 12 घंटे काम करने से कर्मचारियों के दिल पर सीधा असर पड़ेगा, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
अब कर्मचारी यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन किया है
आईटी सेक्टर से जुड़ी योजना ने दूसरे सेक्टर में काम करने वालों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। अब कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (केआईटीयू) ने सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार से मानवीय आधार पर आईटी/आईटीईएस/बीपीओ सेक्टर के कर्मचारियों के लिए काम के घंटे बढ़ाने की अपनी कथित योजना पर पुनर्विचार करने की अपील की है। संघ के मुताबिक सरकार कर्मचारियों के लिए काम के घंटे बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने की योजना बना रही है, यह फैसला गलत है।
यूनियन के एक बयान में कहा गया है कि इस संबंध में कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव हाल ही में श्रम विभाग द्वारा उद्योग के विभिन्न हितधारकों के साथ बुलाई गई बैठक में प्रस्तुत किया गया था। श्रम मंत्री संतोष लाड, श्रम विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय (आईटी-बीटी) के अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया, जिसमें यूनियन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। यूनियन ने प्रस्तावित संशोधन का कड़ा विरोध किया, जिसे उसने (यूनियन ने) किसी भी कर्मचारी के निजी जीवन के मौलिक अधिकार पर हमला बताया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्रम मंत्री ने कोई भी निर्णय लेने से पहले एक और दौर की चर्चा करने पर सहमति जताई।
यूनियन ने कहा कि प्रस्तावित नया विधेयक ‘कर्नाटक दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2024’ 14 घंटे के कार्य दिवस को सामान्य बनाने का प्रयास करता है, जबकि मौजूदा अधिनियम में ओवरटाइम सहित प्रतिदिन अधिकतम 10 घंटे काम करने की अनुमति है। यूनियन ने दावा किया कि संशोधन से कंपनियों को वर्तमान में प्रचलित तीन-शिफ्ट प्रणाली के बजाय दो-शिफ्ट प्रणाली अपनाने और एक-तिहाई कर्मचारियों की छंटनी करने की अनुमति मिल जाएगी।
‘कॉरपोरेट’ मालिकों को खुश करने की भूख?
बैठक के दौरान, केआईटीयू ने आईटी कर्मचारियों पर काम के घंटों में वृद्धि के स्वास्थ्य प्रभाव से संबंधित अध्ययनों की ओर इशारा किया और कहा कि कर्नाटक सरकार, अपने ‘कॉर्पोरेट’ मालिकों को खुश करने की भूख में, किसी भी व्यक्ति के सबसे मौलिक अधिकार, जीवन के अधिकार की पूरी तरह से उपेक्षा कर रही है।
यूनियन ने कहा कि यह संशोधन दिखाता है कि कर्नाटक सरकार कर्मचारियों को इंसान नहीं मानती, जिन्हें जीवित रहने के लिए निजी और सामाजिक जीवन की जरूरत होती है। इसके बजाय वह उन्हें महज ‘कॉरपोरेट’ के मुनाफे को बढ़ाने वाली मशीनरी के तौर पर देखती है।
20 लाख से अधिक लोग होंगे प्रभावित
एसोसिएशन ने सरकार से पुनर्विचार करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि संशोधन को आगे बढ़ाने का कोई भी प्रयास कर्नाटक में आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में काम करने वाले 20 लाख कर्मचारियों के लिए खुली चुनौती होगी।