रामबन, 25 नवंबर (हि.स.)। युवा सेवा एवं खेल विभाग (डीवाईएसएसओ) रामबन ने समाज कल्याण विभाग (डीएसडब्ल्यूओ) के सहयोग से सोमवार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रचार अभियान के तहत एक उल्लेखनीय मैराथन का आयोजन किया। लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और लड़कियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से की गई इस पहल में मादक द्रव्यों के सेवन से निपटने के लिए नशा मुक्त भारत अभियान का महत्वपूर्ण संदेश भी दिया गया।
मैराथन केवल एक दौड़ से कहीं अधिक थी। यह एक ऐसे समाज की ओर एक प्रतीकात्मक यात्रा थी जो अपनी बेटियों को महत्व देता है और उन्हें सशक्त बनाता है। साथ ही मादक द्रव्यों के सेवन के ज्वलंत मुद्दे को संबोधित करता है। इसने जागरूकता फैलाने, समुदायों को एकजुट करने और प्रतिभागियों को स्वस्थ और अधिक जिम्मेदार जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए एक मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने युवाओं में अनुशासन और लचीलापन बनाने के साधन के रूप में शारीरिक फिटनेस के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
मैराथन में पूरे क्षेत्र के व्यक्तियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पुरुष वर्ग में उधमपुर के अक्षय शर्मा ने पहला स्थान, कठुआ के रितिक शर्मा ने दूसरा स्थान और रामबन के प्रीतम कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। महिला वर्ग में रामबन की समता देवी ने पहला स्थान, कटरा की रिम्पी देवी ने दूसरा स्थान और रामबन की श्रुति देवी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
अभियान ने युवा व्यक्तियों की शक्ति और प्रतिभा का जश्न मनाया और लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने के महत्व पर बल दिया। नशा मुक्त भारत अभियान के संदेश को एकीकृत करके मैराथन ने मादक द्रव्यों के सेवन के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाई और युवाओं को स्वस्थ और अधिक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित किया।
डीएसडब्ल्यूओ राहुल गुप्ता ने कहा कि लड़कियों को सशक्त बनाना केवल एक मिशन नहीं है बल्कि एक जिम्मेदारी है जिसे हम सभी साझा करते हैं ताकि एक उज्जवल और समावेशी भविष्य सुनिश्चित हो सके। ऐसी पहलों के माध्यम से हमारा उद्देश्य प्रतिभा का पोषण करना और ऐसे मूल्यों को स्थापित करना है जो समग्र विकास और सामाजिक सद्भाव की ओर ले जाएं।
डीवाईएसएसओ और डीएसडब्ल्यूओ रामबन का यह सहयोगात्मक प्रयास एक प्रगतिशील और समावेशी समाज को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस तरह के आयोजन आशा की किरण के रूप में काम करते हैं यह सुनिश्चित करते हुए कि लिंग की परवाह किए बिना हर व्यक्ति को समान अवसर दिए जाएं।