महिलाओं के empowerment और स्वास्थ्य: ग्रीन आर्मी और स्वास्थ्य आंकड़े

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वाराणसी जिले के कुशीयारी गांव की आशा देवी कहती हैं, “घूंघट छाती से सर तक आ गया इतने सालों में, सच में यह बहुत बड़ी बात है।” आशा देवी और उनकी जैसी कई महिलाएं ग्रीन आर्मी की सदस्य हैं। यह समूह, जिसकी स्थापना दस साल पहले बीएचयू के छात्र रवि मिश्रा ने की थी, अन्याय का सामना करने और गांव के पुरुषों को सही राह पर लाने के लिए महिलाओं को एकत्रित करता है। ग्रीन आर्मी की सभी महिलाएं हरी साड़ी पहनती हैं और आसपास के गांवों में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए सक्रिय हैं।

यह समूह उन घरों में जाकर खुशियां मनाता है जहां बेटियां पैदा होती हैं और परिवार वालों को बेटा-बेटी में भेद न करने की सलाह देता है। वे दहेज, घरेलू हिंसा और यौन हिंसा के मामलों में भी मदद करती हैं। ग्रीन आर्मी की सदस्याएं पहले शांति से बातचीत करने की कोशिश करती हैं, लेकिन जब कोई उनकी बात नहीं सुनता, तो वे डंडे का भी सहारा लेती हैं।

उत्तर प्रदेश के कई गांवों में पुरुषों द्वारा नशीले पदार्थों और शराब के सेवन के कारण घर में कलह होती है। ग्रीन आर्मी की सदस्याएं ऐसे पुरुषों को काउंसलिंग करती हैं, शराब की दुकानों को बंद करवाती हैं और महिलाओं को सलाह देती हैं कि यदि उनके पति शराब पीकर घर आएं, तो उन्हें खाना न दें। इस प्रयास से कुशीयारी और आसपास के गांवों में महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। महिलाएं अब पहले से ज्यादा मजबूत महसूस करती हैं, और लड़कियों के प्रति समाज की सोच में भी बदलाव आ रहा है।

महिलाओं की सेहत पर चिंता

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के हालिया आंकड़े चिंताजनक हैं। इस अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली 29 से 45 साल की महिलाएं, जो कम पढ़ी-लिखी या अनपढ़ हैं, शहरों की महिलाओं की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक गर्भाशय की सर्जरी करवाती हैं। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज की डॉक्टर सुदेशना रॉय के अनुसार, ग्रामीण महिलाएं जब अपने स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अस्पताल जाती हैं, तो डॉक्टर अक्सर उनका गर्भाशय निकाल देते हैं, जबकि दवाइयों से उनका इलाज संभव है।

बिहार और आंध्र प्रदेश में इस तरह के मामलों की संख्या अधिक है। कई मामलों में गर्भाशय निकालने के पीछे की वजहें, जैसे पीरियड के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव और रसौली, होती हैं, जिनका उपचार दवाइयों से किया जा सकता है।

मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए नाश्ता

डेली मेल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, चीन के साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी ने चालीस से ऊपर की महिलाओं पर अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता करने से उनकी मांसपेशियों की सेहत दुरुस्त रहती है। इससे मांसपेशियों का ह्रास कम होता है और वे खुद अपनी मरम्मत कर पाती हैं। अध्ययन में शामिल डॉक्टरों की सलाह है कि नाश्ते में विटामिन-डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम को शामिल किया जाना चाहिए। 80 से अधिक उम्र की 25,000 महिलाओं पर किए गए इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि नियमित नाश्ता बढ़ती उम्र की कई समस्याओं को धीमा कर सकता है।