क्या उत्तर प्रदेश में भाजपा इस बार किसी दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी

Yogi adityanath with pm narendra

उत्तर प्रदेश में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इस बार अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा दलित कार्ड खेल सकती है और किसी दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नैरेटिव को चुनौती देने की रणनीति अपना सकती है।

भाजपा की रणनीति और संभावित नाम

अभी तक यूपी भाजपा ने कभी भी किसी दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया। लेकिन बसपा के कमजोर होने और सपा की दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिशों के बीच भाजपा अब अपने पत्ते बदल सकती है।

माना जा रहा है कि तीन प्रमुख दलित नेताओं के नाम इस रेस में आगे चल रहे हैं:

  1. विद्या सागर सोनकर

  2. रामशंकर कठेरिया

  3. राम सकल

इनमें से रामशंकर कठेरिया का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। वह भाजपा की विचारधारा से लंबे समय से जुड़े हैं और संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं।

भाजपा का जातीय संतुलन साधने की कोशिश

हाल ही में भाजपा ने यूपी में 70 नए जिला और महानगर अध्यक्षों की घोषणा की थी, जिसमें 39 नेता सवर्ण जातियों से थे। इस पर सपा और बसपा ने सवाल उठाए थे कि दलितों और पिछड़ों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया गया। सिर्फ 6 नेताओं को ही दलित समुदाय से जिलाध्यक्ष बनाया गया।

ऐसे में अब प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी तेजतर्रार दलित नेता की नियुक्ति से भाजपा अपने सामाजिक संतुलन को मजबूत कर सकती है।

भाजपा के पिछले प्रदेश अध्यक्ष और संभावित बदलाव

अब तक भाजपा के यूपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर भूपेंद्र चौधरी (जाट), महेंद्रनाथ पांडेय, केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह और लक्ष्मीकांत वाजपेयी जैसे नेता रह चुके हैं।

भाजपा ने गैर-यादव ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में लाने में सफलता पाई है। अब पार्टी की नजर दलित समुदाय को मजबूत करने पर है, जो लंबे समय तक बसपा का परंपरागत वोट बैंक रहा है।

क्या भाजपा कोई चौंकाने वाला फैसला लेगी?

भाजपा के फैसले आमतौर पर अचानक आते हैं और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अपने निर्णयों से चौंकाने के लिए जाना जाता है। पार्टी नेताओं ने इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर इशारा किया कि फैसला चौंकाने वाला हो सकता है।