अमेरिका में कुशल कामगारों को नौकरी करने की अनुमति देने वाला H1-B वीजा इन दिनों बहस का केंद्र बन गया है। कुछ राइट विंग एक्टिविस्ट इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं। विवाद तब गहरा गया जब भारतीय-अमेरिकी श्रीराम कृष्णन को व्हाइट हाउस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति के बाद एलन मस्क जैसे उद्योगपति और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा का समर्थन किया।
H1-B वीजा प्रोग्राम: समझें इसका महत्व
H1-B वीजा अमेरिका का एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जिसके जरिए अमेरिकी कंपनियां विदेशी नागरिकों को विशेष कौशल की जरूरत वाली नौकरियों के लिए नियुक्त करती हैं।
मुख्य विशेषताएं:
- कौन होता है पात्र?
- जो अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी नहीं हैं।
- इंजीनियरिंग, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता।
- कम से कम बैचलर डिग्री या अनुभव जरूरी।
- वीजा की अवधि:
- अधिकतम 6 साल।
- कई धारक ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करते हैं।
- अमेरिकी कंपनियों के लिए क्यों फायदेमंद?
- जब अमेरिका में उनकी जरूरत के अनुसार योग्य कर्मचारी नहीं मिलते।
कैसे मिलता है H1-B वीजा?
- वीजा के लिए व्यक्तिगत आवेदन नहीं किया जा सकता।
- अमेरिकी कंपनी को वीजा स्पॉन्सर करना पड़ता है।
- आमतौर पर वीजा 3 साल के लिए मिलता है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है।
H1-B वीजा पर क्यों हो रहा है विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ राइट विंग एक्टिविस्ट और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA) समर्थकों ने H1-B वीजा का विरोध किया।
- श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति:
- श्रीराम, जो H1-B वीजा धारकों के समर्थन में रहे हैं, को AI नीति सलाहकार बनाया गया।
- कुछ लोगों को आशंका है कि इससे H1-B वीजा पर भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है।
- भारतीयों पर निशाना:
- 72.3% H1-B वीजा धारक भारतीय हैं।
- विरोधियों का तर्क है कि H1-B वीजा धारक अमेरिकी नौकरियां छीन रहे हैं।
एलन मस्क और ट्रंप का रुख
एलन मस्क:
एलन मस्क ने H1-B वीजा का जोरदार समर्थन किया।
- तर्क:
- SpaceX और Tesla जैसी कंपनियों के निर्माण में H1-B वीजा धारकों का अहम योगदान है।
- यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।
डोनाल्ड ट्रंप:
ट्रंप का रुख इस मुद्दे पर बदल गया है।
- पहले:
- अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने ‘Hire American’ नीति के तहत H1-B वीजा पर सख्ती की।
- इसे अमेरिकी नागरिकों के लिए अनुचित बताया।
- अब:
- 28 दिसंबर को एक इंटरव्यू में H1-B वीजा का समर्थन किया।
- उन्होंने इसे एक “अच्छा प्रोग्राम” बताया।
H1-B वीजा के विरोध के कारण
- सस्ते श्रम का तर्क:
- H1-B वीजा धारक कम वेतन पर काम करने को तैयार होते हैं।
- इससे अमेरिकी कर्मचारियों की सैलरी में गिरावट आती है।
- कंपनियों पर आरोप:
- कुछ कंपनियां सस्ते श्रम के लिए वीजा का दुरुपयोग करती हैं।
- राजनीतिक मुद्दा:
- कुछ दल H1-B वीजा का विरोध कर राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं।
H1-B वीजा के भारतीयों पर प्रभाव
- H1-B वीजा धारकों में 70% से अधिक भारतीय हैं।
- USCIS के अनुसार, 2023 में जारी H1-B वीजा में से 72.3% भारतीय नागरिकों को मिले।
- यदि इस वीजा प्रोग्राम में कोई बदलाव होता है, तो भारतीय समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।
H1-B वीजा का भविष्य क्या है?
ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण:
- H1-B वीजा को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं आई है।
- कुछ संभावित बदलाव:
- वीजा की संख्या घटाई जा सकती है।
- अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
अमेरिकी टेक इंडस्ट्री का समर्थन:
- H1-B वीजा के बिना अमेरिका की टेक इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो सकता है।
- कंपनियां विदेशी कुशल कर्मचारियों पर निर्भर हैं।