कुत्ते के काटने से क्यों फैलता है रेबीज़? जानिए कैसे आप खुद बचा सकते हैं को इस ख़तरनाक वायरस से

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हममें से कई लोग कुत्तों के करीब जाने से डरते हैं. ऐसा डर स्वाभाविक है क्योंकि अक्सर कुत्ते के काटने की खबर सुनकर हम डर जाते हैं. यही वजह है कि कई बार हम अपने बच्चों को अकेले ऐसी जगह नहीं जाने देते जहां आवारा कुत्ते आते-जाते हों. साल 2023 में दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक शख्स के बेटे को एक महीने पहले कुत्ते ने काट लिया था. डर के मारे बच्चे ने इस घटना की जानकारी किसी को नहीं दी. कई दिनों के बाद उसके शरीर में बदलाव आने लगे और एक समय ऐसा भी आया जब बच्चे के मुंह से लार टपकने लगी और वह पानी पीने से भी डरने लगा. पीड़ित बच्चे के पिता ने कई अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन किसी ने मासूम का इलाज नहीं किया. इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो गई. इस घटना को लेकर कई माता-पिता डरे हुए थे.

रेबीज़ ख़तरनाक क्यों है?

डॉ. ने बताया कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो हमारे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाती है, कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। रेबीज का शाब्दिक अर्थ है ‘पागलपन’। यह न केवल कुत्तों के काटने से फैलता है बल्कि कई जंगली मांसाहारी जानवरों के काटने से भी फैलता है। न केवल मनुष्य बल्कि कई गर्म खून वाले जानवर भी इसके प्रति संवेदनशील होते हैं।

रेबीज़ वायरस कैसे फैलता है?

रेबीज वायरस कुत्तों और कई अन्य जानवरों की लार ग्रंथियों में मौजूद होता है। जब कुत्ते किसी इंसान को काटते हैं, तो यह वायरस खून के ज़रिए शरीर में प्रवेश करता है और फिर दिमाग तक पहुँचकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। फिर यह उस व्यक्ति की लार ग्रंथियों में फैल जाता है और मुंह में झाग पैदा करता है। यह वायरस 10 दिन से लेकर 8 महीने के बीच कभी भी अपना रंग दिखा सकता है।

रेबीज़ वायरस का मनुष्यों पर प्रभाव

कुत्ते या रेबीज से पीड़ित जानवर के काटने से व्यक्ति को सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, भूख न लगना, जी मिचलाना और मांसपेशियों में अकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पीड़ित व्यक्ति के गले की मांसपेशियां लकवाग्रस्त हो जाती हैं, जिसके कारण वह पानी निगलने में असमर्थ हो जाता है, यही कारण है कि वह हाइड्रोफोबिया यानी पानी से डरने का शिकार हो जाता है। इतना ही नहीं, इससे सांस फूलने और दिल के दौरे के कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। 

रेबीज़ का उपचार क्या है?

रेबीज का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इससे बचा जा सकता है। कुत्ते के काटने के बाद आपको तुरंत घाव को साफ करना चाहिए ताकि यह शरीर के बाकी हिस्सों में न फैले। इसके अलावा आपको 24 घंटे के अंदर एंटी-रेबीज सीरम देना होगा, यह इंजेक्शन एंटीजन के खिलाफ तैयार एंटीबॉडी देता है। अगर सीरम देने में देरी हो जाए तो जान बचाना मुश्किल है। इसके अलावा पालतू कुत्तों को भी एंटी-रेबीज इंजेक्शन देना जरूरी है ताकि अगर वो किसी को काट लें तो इसका असर इतना खतरनाक न हो।