Rajasthani Tradition : शादियों में क्यों लगाई जाती है गणपति मेहंदी, जानिए इस खूबसूरत राजस्थानी परंपरा के पीछे का गहरा राज
Newsindia live,Digital Desk: Rajasthani Tradition : मेहंदी, इस एक शब्द में ही कितनी सारी खुशियां, कितने सारे रंग और कितनी ही परंपराएं छिपी हैं। खासकर जब घर में शादी जैसा कोई मांगलिक अवसर हो, तो मेहंदी के बिना तो हर रस्म अधूरी लगती है। दुल्हन के हाथों से लेकर घर की छोटी बच्ची की हथेलियों तक, हर कोई इस खूबसूरत रंग में रंगना चाहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मेहंदी की हजारों सुंदर डिजाइनों के बीच एक छोटी सी 'गणपति मेहंदी' का कितना बड़ा महत्व है?
राजस्थान की परंपराओं में शादी की पहली रस्म की शुरुआत इसी 'गणपति मेहंदी' से होती है। यह सिर्फ एक डिजाइन नहीं, बल्कि एक गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जिसके बिना कोई भी शुभ काम अधूरा माना जाता है।
क्या होती है 'गणपति मेहंदी'?
जब शादी की रस्में शुरू होती हैं, तो सबसे पहले दूल्हा और दुल्हन के हाथ में बाकी मेहंदी लगाने से पहले, शगुन के तौर पर एक छोटी सी बिंदी या गोल आकृति बनाई जाती है। इसी को 'गणपति मेहंदी' या 'गणेश स्थापना' कहा जाता है। माना जाता है कि हथेली पर यह छोटा सा गोल घेरा साक्षात भगवान गणेश का प्रतीक है।
क्यों इतनी ख़ास है यह परंपरा?
हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से ही होती है। उन्हें विघ्नहर्ता, यानी सभी बाधाओं को हरने वाला माना जाता है। शादी दो परिवारों का मिलन और एक नए जीवन की शुरुआत है, जिसमें कोई भी अड़चन या बाधा न आए, इसी कामना के साथ हथेली पर गणपति की स्थापना की जाती है।
पहला निमंत्रण गणपति को: यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि दूल्हा-दुल्हन अपनी शादी का पहला निमंत्रण भगवान गणेश को दे रहे हैं और उनसे प्रार्थना कर रहे हैं कि वे स्वयं आकर इस विवाह को निर्विघ्न संपन्न कराएं।
नकारात्मकता से बचाव: यह भी माना जाता है कि हथेली के बीचों-बीच स्थित यह गणपति मेहंदी दूल्हा-दुल्हन को हर तरह की बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाती है।
अखंड सौभाग्य का प्रतीक: मेहंदी को सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जब इसकी शुरुआत गणपति के नाम से होती है, तो यह अखंड सौभाग्य की कामना को और भी मजबूत कर देती है।
सिर्फ राजस्थान तक ही सीमित नहीं
हालांकि यह परंपरा राजस्थान की शादियों में प्रमुखता से निभाई जाती है, लेकिन देश के कई अन्य हिस्सों में भी इसे अलग-अलग रूपों में देखा जाता है। यह खूबसूरत रिवाज हमें याद दिलाता है कि हमारी परंपराएं कितनी गहरी और अर्थपूर्ण हैं, जहां एक छोटी सी मेहंदी की बिंदी भी भगवान को अपने सबसे खास पलों में शामिल करने का एक जरिया बन जाती है।
तो अगली बार जब आप किसी शादी में दुल्हन के हाथ में मेहंदी देखें, तो उस पहली बिंदी को देखकर मुस्कुराइएगा, क्योंकि वह सिर्फ एक डिजाइन नहीं, बल्कि विघ्नहर्ता को दिया गया प्यार भरा निमंत्रण है।
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