व्हिस्की के साथ पानी मिलाना या नहीं, यह वाकई एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बहुत से वाइन पेशेवरों का मानना है कि हार्ड ड्रिंक को उसके मूल स्वाद में ही पीना चाहिए। हालांकि, भारत और अन्य एशियाई देशों में, ड्रिंक्स की क्वॉलिटी और मौसम के कारण ड्रिंक्स में पानी मिलाना सामान्य है। लोग शराब में सिर्फ पानी ही नहीं मिलाते, बल्कि जूस, सोडा, एनर्जी ड्रिंक्स, और अन्य कुछ भी मिलाकर पीते हैं। यह पानी के स्वाद को कम करने के अलावा शरीर को हाइड्रेट रखता है।
अनेक व्हिस्की पीने वाले ठंडे पानी को पसंद करते हैं। खान-पान के विशेषज्ञों के अनुसार, शराब में मिलाए गए पानी के तापमान का महत्वपूर्ण रोल होता है। यह शराब के स्वाद और फ्लेवर पर बहुत अद्वितीय प्रभाव डालता है। पानी के तापमान का महत्व समझने वाले ही हार्ड ड्रिंक्स के फ्लेवर को ठीक से समझ सकते हैं। क्योंकि इंसान की स्वाद ग्रंथियां (taste buds) विभिन्न तापमानों पर विभिन्न ढंग से प्रतिक्रिया करती हैं, इसलिए इंसान को विभिन्न तापमानों पर विभिन्न स्वाद महसूस होता है।
वाइन एक्सपर्ट्स के अनुसार, इंसान की स्वाद ग्रंथियां 15 से 35 डिग्री सेंटिग्रेड के बीच सबसे बेहतर ढंग से काम करती हैं। 35 डिग्री सेंटिग्रेड पर स्वाद ग्रंथियां पूरी तरह खुली होती हैं और चीजों को चखने के बाद हमारे दिमाग को स्वाद और जायके के बारे में स्पष्ट संदेश मिलता है। जबकि, 15 डिग्री सेंटिग्रेड के नीचे तापमान पर स्वाद ग्रंथियां स्पष्ट संदेश नहीं भेज पातीं, जिसकी वजह से स्वाद या जायके के बारे में सही जानकारी प्राप्त करना मुश्किल होता है। इसलिए, व्हिस्की को सही फ्लेवर को महसूस करने के लिए पानी का तापमान रूम टेम्परेचर से थोड़ा ज्यादा होना चाहिए।
इसी वजह से व्हिस्की की सेवा के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए गिलास का उपयोग किया जाता है। व्हिस्की गिलास भारी और मोटी तली के साथ बनाए जाते हैं, ताकि शराब की गर्माहट बनी रहे और जब इसे सर्फेस पर रखा जाए, तो शराब के तापमान को प्रभावित न करें। इसके अलावा, व्हिस्की के गिलास में अधिक समय तक ठंडा रहने की वजह से उसकी स्वाद ग्रंथियां सही से काम करती हैं और फ्लेवर का आनंद लेने में मदद करती हैं। व्हिस्की की सटीक गुणवत्ता और स्वाद का आनंद उठाने के लिए, यह गिलास एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।