लोकसभा चुनाव के बीच क्यों ममता बनर्जी ने हिंदू संत से तोड़ा रिश्ता? गरमाई राजनीति

लोकसभा चुनाव 2024:  विधानसभा चुनाव एक वास्तविक खेल है। एक तरफ ममता बनर्जी फिर से 30 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही हैं तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने भी 35 प्लस का लक्ष्य रखा है.

क्या है ये पूरा मामला?

ममता बनर्जी ने अब एक हिंदू संत पर निशाना साधा है. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत सेवाश्रम संघ के सचिव कार्तिक महाराज को लेकर कुछ ऐसा कहा था, जिससे राजनीति गरमा गई है.

हुगली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैंने बेहरामपुर के एक महाराज के बारे में बहुत सुना है. कार्तिक महाराज हर जगह कह रहे हैं कि वह किसी भी टीएमसी एजेंट को अपने बूथ पर नहीं आने देंगे. मैं उन्हें संत नहीं मानता. वे सीधे और पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गये हैं और इस देश को बर्बाद कर रहे हैं. मैं भारत सेवाश्रम संघ का बहुत आदर करता था। लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कई कार्यकर्ता बीजेपी के प्रभाव में काम कर रहे हैं. जो लोग मन्दिरों की सेवा कर रहे हैं, यह बहुत अच्छा काम है, परन्तु ऐसा नहीं है। हर कोई ऐसा नहीं होता.’

पीएम मोदी ने उठाया  ये मुद्दा

पीएम मोदी ने ममता बनर्जी के हिंदू संत वाले बयान पर करारा जवाब दिया और कहा, ‘स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन को आज ममता बनर्जी की पार्टी से खतरा हो रहा है. जो सरकार किसी भी धर्म और धार्मिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करती, उसे सबक सिखाने की जरूरत है।’

मामला गरमाने पर ममता ने सफाई दी

विवाद बढ़ने पर ममता बनर्जी ने फिर कहा, ‘मैंने किसी संत का अपमान नहीं किया है लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि कार्तिक महाराज बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं और वे टीएमसी एजेंटों को बूथ पर नहीं आने दे रहे हैं. अगर उन्हें बीजेपी में शामिल होने में इतनी ही दिलचस्पी है तो उन्हें कमल को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए.’

इस विवाद पर कार्तिक महाराज ने क्या कहा?

पूरे विवाद पर कार्तिक महाराज ने सफाई देते हुए कहा कि, ‘उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें समय-समय पर बीजेपी और टीएमसी से चुनाव लड़ने के ऑफर मिले हैं, लेकिन उन्होंने कभी उन्हें स्वीकार नहीं किया।’