डायबिटीज दुनियाभर में तेजी से फैलने वाली एक क्रॉनिक बीमारी बन चुकी है। करोड़ों लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, और यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर बढ़ जाता है, जिसे जीवनभर नियंत्रित करने की जरूरत होती है।
डायबिटीज के मरीजों को एक और गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जिसे कीटोन्यूरिया कहा जाता है। जब शरीर में इंसुलिन का स्तर गिरता है, तब लिवर फैट और प्रोटीन को तोड़कर एनर्जी बनाने लगता है, जिससे कीटोंस का उत्पादन बढ़ जाता है। यदि कीटोंस की मात्रा यूरिन में बढ़ जाती है, तो यह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) जैसी गंभीर स्थिति को जन्म दे सकता है।
कीटोन्यूरिया क्या है?
कीटोन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जब यूरिन में कीटोंस की मात्रा बढ़ जाती है। यह तब होता है जब शरीर कार्बोहाइड्रेट की कमी होने के कारण ऊर्जा के लिए फैट और प्रोटीन का इस्तेमाल करने लगता है।
मुख्य प्रकार के कीटोंस:
- एसीटोएसिटेट (Acetoacetate)
- β-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट (Beta-hydroxybutyrate)
- एसीटोन (Acetone)
जब शरीर जरूरत से ज्यादा कीटोंस बनाने लगता है और यह यूरिन के माध्यम से बाहर नहीं निकलते, तो यह कीटोन्यूरिया का कारण बन सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है।
कीटोंस का लेवल कब बढ़ता है?
यूरिन में कीटोंस की मात्रा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
लंबे समय तक भूखे रहना: जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिलता, तो वह फैट को तोड़कर एनर्जी बनाना शुरू कर देता है।
अत्यधिक फास्टिंग: ज्यादा उपवास करने से शरीर में कीटोंस का उत्पादन बढ़ सकता है।
डायबिटीज कंट्रोल न होना: जब ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है, जिससे कीटोंस बनते हैं।
प्रेग्नेंसी: कुछ मामलों में, गर्भावस्था के दौरान शरीर में कीटोंस का स्तर बढ़ सकता है, जिसे जेस्टेशनल कीटोन्यूरिया कहा जाता है।
कम कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च वाला डाइट: यदि शरीर को पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट नहीं मिलता, तो यह ऊर्जा के लिए फैट और प्रोटीन को तोड़ना शुरू कर देता है, जिससे कीटोंस बनते हैं।
कीटोन्यूरिया के लक्षण
अगर आपके शरीर में कीटोंस की मात्रा बढ़ रही है, तो आपको कुछ खास लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे:
अत्यधिक प्यास लगना
बार-बार पेशाब आना (Frequent urination)
डिहाइड्रेशन (Dehydration)
मतली और उल्टी (Nausea & Vomiting)
सांस लेने में दिक्कत (Shortness of breath)
आंखों की पुतलियों का फैलना (Dilated pupils)
मुँह से फल जैसी गंध आना (Fruity-smelling breath)
अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कीटोन्यूरिया से कैसे बचें?
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आपको अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है। कीटोन्यूरिया से बचने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
1. ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियमित रूप से मॉनिटर करें
अपने ब्लड शुगर की जांच नियमित रूप से करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई सीमा में बनाए रखें।
अगर ब्लड शुगर 250 mg/dL से ऊपर जाता है, तो कीटोंस के लिए टेस्ट करवाएं।
2. इंसुलिन थेरेपी को सही समय पर लें
इंसुलिन लेने का समय न छोड़ें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार डोज लें।
टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए इंसुलिन की सही मात्रा लेना बेहद जरूरी है।
3. पर्याप्त मात्रा में खाना खाएं
ज्यादा देर तक भूखे न रहें और फास्टिंग से बचें।
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फैट का संतुलित सेवन करें।
अधिक लो-कार्ब डाइट से बचें, क्योंकि इससे शरीर में कीटोंस की मात्रा बढ़ सकती है।
4. भरपूर पानी पिएं और डिहाइड्रेशन से बचें
दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं ताकि कीटोंस यूरिन के जरिए बाहर निकल सकें।
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस बनाए रखें।
5. एक्सरसाइज करें लेकिन सावधानी से
नियमित रूप से हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें।
अगर ब्लड शुगर बहुत अधिक या बहुत कम हो, तो तुरंत एक्सरसाइज बंद कर दें और डॉक्टर से सलाह लें।