आपने कई बार सफेद चीनी और उससे बनी चीजें खाई होंगी, इस खाद्य पदार्थ को सेहत का दुश्मन माना जाता है क्योंकि यह टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा और कई अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है, लेकिन क्या आपने इसके विकल्प के तौर पर नारियल की चीनी को इस्तेमाल करने के बारे में सोचा है? इसमें भी कोकोनट पाम शुगर होती है, जो दिखने में भूरे रंग की होती है। आइए न्यूट्रिशनिस्ट निखिल वत्स से जानते हैं कि सफेद चीनी से नारियल की चीनी क्यों बेहतर है?
नारियल चीनी के लाभ
1. पोषक तत्वों से भरपूर:
नारियल चीनी तैयार होने के बाद भी, नारियल के ताड़ में मौजूद पोषक तत्व इसमें बरकरार रहते हैं। हालाँकि इन पोषक तत्वों की मात्रा अपेक्षाकृत कम है, फिर भी आप इसका लाभ उठा सकते हैं।
2. कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स:
नारियल की चीनी में सफेद चीनी की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। इसका मतलब है कि यह रक्त शर्करा के स्तर को बहुत अधिक नहीं बढ़ाती है। मधुमेह रोगियों के अलावा सामान्य लोगों को भी इसे सफेद चीनी के बेहतरीन विकल्प के रूप में अपनाना चाहिए क्योंकि यह मधुमेह के खतरे को काफी हद तक कम कर देती है।
3. प्राकृतिक मीठा स्वाद
नारियल चीनी में एक विशेष कारमेल जैसा स्वाद होता है, इसकी मदद से कई मीठे व्यंजन और पेय तैयार किए जा सकते हैं, जिनका स्वाद सामान्य चीनी जितना ही मीठा होता है।
हालांकि, मधुमेह रोगियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि नारियल की चीनी अभी भी चीनी का ही एक रूप है और इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए। हालांकि इसके कुछ स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन किसी भी चीनी का अत्यधिक सेवन वजन बढ़ने, शुगर बढ़ने, दांतों की सड़न और अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है।