दिल्ली में 26 साल बाद भाजपा की वापसी, कौन होगा मुख्यमंत्री? पूर्वांचली दावेदारों पर बढ़ा फोकस

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दिल्ली में 26 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता में वापसी कर ली है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए कौन होगा पार्टी का चेहरा, यह अब भी बड़ा सवाल बना हुआ है। भाजपा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक संकेत नहीं दिया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में कई नाम चर्चा में हैं।

क्या इस बार पूर्वांचली बनेगा दिल्ली का मुख्यमंत्री?

अटकलें तेज हैं कि इस बार भाजपा दिल्ली में किसी पूर्वांचली नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है। खासकर ऐसे नेता को जो बिहार से ताल्लुक रखते हों। ऐसा करने से भाजपा एक साथ दो बड़े राजनीतिक समीकरण साध सकती है—

  1. दिल्ली में बड़ी संख्या में मौजूद पूर्वांचली वोटर्स को साधना
  2. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पर असर डालना

पूर्वांचली वोटर्स के लिए “रिटर्न गिफ्ट”?

दिल्ली में पूर्वांचली मतदाता एक बड़ा वोट बैंक हैं, जो इस बार भाजपा के समर्थन में खुलकर आए।

  • पिछले कुछ चुनावों में ये मतदाता AAP के पाले में चले गए थे, लेकिन इस बार भाजपा को भारी समर्थन मिला।
  • भाजपा ने झुग्गी और कच्ची कॉलोनियों में बेहतरीन प्रदर्शन किया, जहां पूर्वांचली वोटर्स की संख्या अधिक है।
  • झुग्गी बस्तियों वाली 18 विधानसभा सीटों में से 10 पर भाजपा ने जीत हासिल की।
  • कच्ची कॉलोनी प्रभाव वाली 10 सीटों में से 7 पर भाजपा को जीत मिली।

इस हिसाब से पूर्वांचली वोटर्स ने भाजपा को 17 सीटें जितवाने में बड़ी भूमिका निभाई। ऐसे में भाजपा पूर्वांचली मुख्यमंत्री बनाकर इस समर्थन के लिए “रिटर्न गिफ्ट” दे सकती है और भविष्य के चुनावों के लिए भी अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।

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दिल्ली से बिहार तक भाजपा की राजनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा दिल्ली से बिहार तक अपनी रणनीति को साधने की कोशिश कर सकती है।

  • बिहार में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
  • भाजपा अगर दिल्ली में बिहार के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, तो इसका असर बिहार चुनाव पर भी पड़ेगा।
  • दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहार के लोग रोजगार, शिक्षा और इलाज के लिए आते हैं।
  • बिहार के लगभग हर परिवार का कोई न कोई सदस्य दिल्ली में रहता है।
  • अगर दिल्ली का मुख्यमंत्री कोई बिहारी बनता है, तो इसका सीधा फायदा बिहार चुनाव में भाजपा को मिल सकता है।

बिहारी मुख्यमंत्री के लिए कौन-कौन दावेदार?

दिल्ली भाजपा में कई बड़े पूर्वांचली नेता हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी जीते हुए विधायक को ही मिलने की संभावना अधिक है। ऐसे में अभय वर्मा, डॉ. पंकज कुमार सिंह और चंदन कुमार चौधरी का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है।

1. अभय वर्मा (लक्ष्मी नगर विधानसभा)

  • मूल रूप से दरभंगा, बिहार के रहने वाले हैं।
  • पेशे से वकील और दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं।
  • इस बार बीबी त्यागी को 11,542 वोटों से हराकर विधायक बने हैं।
  • AAP की मजबूत लहर के बावजूद अपनी सीट बचाने में सफल रहे।

2. चंदन चौधरी (संगम विहार विधानसभा)

  • खगड़िया, बिहार के मूल निवासी हैं।
  • उन्होंने इस बार AAP के दिनेश मोहनिया को हराया।
  • झुग्गी और कच्ची कॉलोनी क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं।

3. डॉ. पंकज कुमार सिंह (विकासपुरी विधानसभा)

  • बक्सर, बिहार से ताल्लुक रखते हैं।
  • उन्होंने पहली बार विकासपुरी में भाजपा को जीत दिलाई।
  • उनके पिता बाबू राज मोहन सिंह दिल्ली में एडिशनल कमिश्नर रह चुके हैं।

क्या भाजपा सच में पूर्वांचली कार्ड खेलेगी?

भाजपा अपने चुनावी गणित को बेहद बारीकी से साधने के लिए जानी जाती है।

  • अगर पूर्वांचली को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो इससे भाजपा को दिल्ली और बिहार दोनों में फायदा मिल सकता है।
  • हालांकि, पार्टी कोर हिंदुत्व और वरिष्ठ नेताओं के दबाव में गुजराती या पंजाबी समुदाय के नेता को भी मुख्यमंत्री बना सकती है।

अगला कदम?

भाजपा जल्द ही मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करेगी, लेकिन पूर्वांचली उम्मीदवारों की चर्चा यह संकेत दे रही है कि पार्टी कोई बड़ा राजनीतिक दांव खेल सकती है। अब देखना होगा कि भाजपा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए स्थानीय नेतृत्व को तवज्जो देती है या बिहार की राजनीति को ध्यान में रखकर फैसला लेती है।