बच्चे को स्कूल भेजें या नहीं? प्रदूषण के बीच पेरेंट्स की सबसे बड़ी चिंता हुई दूर

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News India Live, Digital Desk : अगर आप नोएडा, ग्रेटर नोएडा या गुरुग्राम में रहते हैं और आपका बच्चा 5वीं कक्षा तक की क्लास में पढ़ता है, तो यह खबर सीधे आपकी सबसे बड़ी चिंता को दूर करने वाली है। सुबह उठते ही जब खिड़की से बाहर धुंध की चादर (स्मॉग) दिखती है, तो हर माँ-बाप का दिल घबराता है कि इस ज़हरीली हवा में अपने बच्चे को स्कूल कैसे भेजें?

आपकी इसी चिंता को समझते हुए प्रशासन ने एक बहुत ही práctico फैसला लिया है। अब स्कूलों को पूरी तरह से बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि आपको एक 'विकल्प' दिया गया है।

क्या है यह नया नियम?

सरल शब्दों में, 5वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूल आना अब अनिवार्य (compulsory) नहीं रहा। स्कूलों को हाइब्रिड मोड पर चलने के लिए कहा गया है।

यह फैसला पूरी तरह से आपकी मर्ज़ी पर छोड़ दिया गया है। स्कूल आप पर बच्चे को भेजने के लिए कोई दबाव नहीं बना सकता।

यह फैसला क्यों लिया गया?

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता (AQI) 'गंभीर' (Severe) कैटेगरी में पहुंच गई है। यह हवा छोटे बच्चों के नाजुक फेफड़ों के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। इसी खतरे को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों के बाद यह कदम उठाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को घर पर सुरक्षित रखते हुए उनकी पढ़ाई को भी बिना रुकावट जारी रखना है।

क्या बड़ी क्लास के बच्चों पर भी यह लागू है?

फिलहाल यह हाइब्रिड मोड का विकल्प मुख्य रूप से नर्सरी से लेकर 5वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए है। बड़ी कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल अभी भी खुले रहेंगे, लेकिन उनकी सभी आउटडोर एक्टिविटीज़, जैसे स्पोर्ट्स, असेंबली आदि पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।

तो अब आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य और आसपास के प्रदूषण के स्तर को देखते हुए खुद यह फैसला ले सकते हैं कि आपके लिए ऑनलाइन क्लास बेहतर है या ऑफलाइन। यह निश्चित रूप से सभी माता-पिता के लिए एक बड़ी राहत की बात है।

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